उन्होंने कहा कि “पुरुषों और महिलाओं को प्रत्येक ढाई साल तक देश में शासन क्यों नहीं करना चाहिए? यदि ऐसा अवसर संविधान के माध्यम से दिया जाता है, तो समाज में समानता होगी, और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आएगी।” उन्होंने कहा कि ऐसे में समाज में एक बड़ा बदलाव होगा।
उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के साथ सेमिनार के दौरान उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें न्यायपालिका और पुलिस को प्रशिक्षण देना भी शामिल है, ताकि महिलाओं को न्याय पाने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा मानव अधिकारों का उल्लंघन है और हिंसा से प्रभावित महिलाओं और बच्चों की पीड़ा को दूर करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे मुद्दों पर सजा बढ़ाने और सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। इन मुद्दों पर अधिकारियों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।