उम्रकैद सजायाफ्ता की जेल में मौत
,पुलिस अधिकारियों की समझाइश के बाद परिजन शव ले जाने के लिए राजी हो गए..

कैदी के परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में देरी व लापरवाही का आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया, समझाइश के बाद परिजन शव ले जाने के लिए राजी हो गए..
कोय बत्तूर. यहां की सेन्ट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी की बीमारी की वजह से मौत हो गई।कैदी के परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में देरी व लापरवाही का आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया। पुलिस ने बताया कि साईबाबा कॉलोनी निवासी रिजवान(38) को 1997 में गिर तार किया गया था। उसे एक शिक्षक की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।बताया जाता है कि वह पिछले दो दशकों से मिर्गी से पीडि़त था।दो माह , पहले व ह पैराल पर बाहर आया और उसने शादी रचाईथी।
जेल प्रशासन उसे रविवार सुबह अस्पताल ले कर आया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी...
पुलिस ने बताया कि रिजवान को रात में मिरगी का दौरा पड़ा और वह बेहोश हो गया। सुबह जेल प्रशासन उसे राजकीय कोय बत्तूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गया। जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर रिजवान के परिजन अस्पताल पहुंच गए। जहां पोस्टमार्टम के बाद शव उन्हें सौंपने की कार्रवाई की जा रही थी। लेकिन उन्होंने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि रिजवान को दौरा शनिवार रात पड़ा था। वह बेहोश हो गया पर उसे चिकित्सा सहायता नहीं दी गई। जेल प्रशासन उसे रविवार सुबह अस्पताल ले कर आया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। परिजनों ने कहा कि यदि समय रहते उसे अस्पताल ले जाया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। उन्होंने जिला प्रशासन से मामले की जांच की ,पुलिस अधिकारियों की समझाइश के बाद परिजन शव ले जाने के लिए राजी हो गए।
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