चेन्नई

भगवान नेमिनाथ ने जैन धर्म पर राज्य किया- साध्वी धर्मलता

साध्वी ने कहा एक ही घर में जन्मे दो महापुरुषों में से एक भगवान नेमिनाथ ने जैन धर्म पर राज्य किया जबकि भगवान कृष्ण ने हिन्दू धर्म पर, जिन्होंने न तो संन्यास लिया और न ही कोई साधना की फिर भी वे भगवान की तरह पूजे गए।

चेन्नईSep 03, 2018 / 01:16 pm

Ashok Singh Rajpurohit

भगवान नेमिनाथ ने जैन धर्म पर राज्य किया- साध्वी धर्मलता

चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा धर्मशास्त्र और इतिहास साक्षी है कि जब भी भी महापुरुषों का जन्म हुआ है अधर्म, अनीति व अत्याचार भी पैदा हुए लेकिन अंत में विजय सत्य, न्याय व धर्म की ही हुई। राम के साथ रावण, कृष्ण के साथ कंस, महावीर के लिए गौशालक और महात्मा गांधी के विरोध में गोडसे हुआ। इसे कर्म नियति या भाग्य की विडंबना ही कहें कि भगवान कृष्ण का जन्म कंस के कैदखाने में हुआ लेकिन जगत के बंधन तोडक़र बाहर निकल कर जगत के जीवों को मुक्ति की राह दिखाई। अत्याचार पर करुणा, अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय प्रतिष्ठित किया। उन्होंने न केवल पूतना, कंस व दुर्योधन जैसे दुष्टों पर विजय पाई बल्कि आंतरिक शत्रु कोधादि, कषाय पर भी विजय पाई। कृष्ण जैन तीर्थंकर नेमिनाथ के चचेरे भाई थे। उन्होंने संयम और दीक्षा में राजकीय सहयोग दिया। वृद्धजनों को आदर, दुष्टों को सबक, दीनों के प्रति करुणा भाव रखकर जगत प्रिय बने। उनके गुणों को अपनाकर अपना जीवन सुवासित करना है यही जन्माष्टमी मनाने का सार है।
साध्वी ने कहा एक ही घर में जन्मे दो महापुरुषों में से एक भगवान नेमिनाथ ने जैन धर्म पर राज्य किया जबकि भगवान कृष्ण ने हिन्दू धर्म पर, जिन्होंने न तो संन्यास लिया और न ही कोई साधना की फिर भी वे भगवान की तरह पूजे गए। उन्होंने जो किया व इतिहास बना, जो कहा वह गीता बनी और जो जीया व रासलीला कहलाई। श्रीकृष्ण ने सलाखों में जन्म लेकर भी धरती को प्रेम और माधुर्य का संदेश दिया। इसलिए हम कषायों को पतला करें जिससे हमारा मोक्ष का रास्ता आसान होगा। धर्मसभा में अनेक स्थानों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
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सामूहिक बीस स्थानक तप अनुष्ठान में उमड़े श्रद्धालु
– श्री जैन स्थानक ट्रस्ट मईलापुर द्वारा हुआ
चेन्नई. श्री जैन संघ ट्रस्ट मईलापुर के तत्वावधान में रविवार को कच्चेरी रोड स्थित आराधना भवन में सामूहिक बीस स्थानक तप अनुष्ठान का आयोजन किया गया। आचार्यगण विजय कलापूर्णसूरीश्वर व तीर्थभद्रसूरीश्वर एवं तीर्थसुंदर विजय, तीर्थ कल्याण विजय व तीर्थगेष विजय के सान्निध्य में आयोजित इस तप अनुष्ठान में करीब ४०० से भी अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। सभी श्रद्धालओं को बीस स्थानक की क्रिया करवाई गई। इस मौके पर बी स्थानक की आकर्षक रचना भी की गई। भक्तिगान का आयोजन भी हुआ।

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