श्रीधर ने मद्रास हाइकोर्ट की मदुरै शाखा में जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में मामले के 105 गवाहों में से मदुरै कोर्ट में अब तक 30 गवाहों से ही जिरह हुई है। मैं 20 महीने से जेल में हूं। विचाराधीन कैद की सजा अवैध है। इसलिए मुझे जमानत दी जानी चाहिए। न्यायाधीश जी. एलंगोवन ने इस याचिका की जांच की। सीबीआइ ने श्रीधर को जमानत देने पर कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद न्यायाधीश ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
क्या था पूरा मामला ?
वर्ष 2020 के 19 जून को तुत्तुकुडी के सातनकुलम पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान पिता जयराज और उनके बेटे बेनिक्स को हिरासत में लिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी मोबाइल फोन की दुकान को लॉकडाउन में निर्धारित समय से ज्यादा खुला रखा था। घटना में सातनकुलम थाने के पुलिसवालों पर जयराज और बेनिक्स को बुरी तरह पीटने के आरोप लगे थे। उनके प्राइवेट पाट्र्स पर भी गंभीर चोटें आई थी। इसके बाद 22 जून को हिरासत में उनकी मौत हो गई थी। पूरे देश में बवाल मचने के बाद तमिलनाडु सरकार ने इस घटना की जांच सीबीआइ को जांच सौंपी थी जिसने नौ पुलिस कर्मियों के नाम चार्जशीट में दाखिल किए गए थे।
चार्जशीट में पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप
सीबीआइ ने चार्जशीट में कहा कि पुलिसवालों ने उन लोगों को 6 घंटे से ज्यादा समय तक प्रताडि़त किया, पुलिस के व्यवहार से लग रहा था कि पुलिस उन्हें सबक सिखाना चाहती थी। चार्जशीट में कहा गया है, जब भी कोई खामोशी होती, आरोपी इंस्पेक्टर श्रीधर चुप रहने का कारण पूछकर पुलिसवालों को उकसाता था और फिर से मारने के लिए कहता। इस मामले में देशभर में प्रदर्शन हुए थे। सोशल मीडिया से लेकर सडक़ तक लोगों में पुलिस के बर्ताव के खिलाफ खूब गुस्सा था।