खो दिया भरोसा : इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता ट्रेफिक रामास्वामी की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एन.शेषशायी ने कहा कि अदालत ने राज्य सरकार में भरोसा खो दिया है। न्यायलय अवैध फ्लैक्स बोर्ड और बैनर के लिए आदेश पारित करते हुए थक गया है।
असंवेदनशील क्यों हैं नौकरशाह : उन्होंने महाधिवक्ता से पूछा कि आदेशों को लागू करने में विफल रहने के लिए सरकार के अधिकारियों के खिलाफ करूा कार्रवाई की गई है। उन्होंने नाराज होते हुए पूछा कि आप सडक़ों पर कितने लीटर रक्त चढ़ाना चाहते हैं? क्या इस देश में एक नागरिक के जीवन का कोई मूल्य नहीं है?ये फ्लेक्स बोर्ड रातोंरात नहीं आते हैं, नौकरशाह इतने असंवेदनशील क्यों हैं?
ऐसे मुद्दों के हल मुआवजा : मद्रास उच्च न्यायालय ने राजनीतिक बैनर पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए तमिलनाडु सरकार की खिंचाई की। पीठ ने कहा कि कोई भी पार्टी सत्ता में नौकरशाह उन्हें सलाम बजाने लग जाते है। अधिकारी ऐसे मुद्दों के हल मुआवजा देकर निकाल लेती है। नौकरशाहों की उदासीनता के कारण हमने आज एक और जीवन को खो दिया है।
उल्लेखनीय है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने अवैध बैनरों के खिलाफ कई आदेश पारित किए हैं। 2017 में, अदालत ने जीवित व्यक्तियों वाले होर्डिंग्स और फ्लेक्स बैनर पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके और कई अन्य दलों ने नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है।
वर्ष 2017 में कोयम्बत्तूर में भी सडक़ किनारे लगे होर्डिंग से टकरा कर रघु नामक एक व्यक्ति की मौत हुई थी।