यह मामला एक महिला से मिली शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था और बाद में मामले को सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया।
जांच के दौरान पूछताछ में अधिकारियों का मैंने हर तरह से सहयोग किया, लेकिन गत १० अक्टूबर को चार्जशीट दायर हो गई और उसके बाद न्यायिक हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं होती।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जी. आर. स्वामीनाथन ने पाया कि मुगिलन द्वारा उनके अपहरण के संबंध में दायर अतिरिक्त हलफनामा एक मुर्गा और बैल (बहाने के रूप में प्रयोग की जाने वाली कहानी) की कहानी थी।
हालांकि न्यायाधीश ने मुगिलन को तीन महीने में एक बार करुर में सीबी-सीआईडी की जांच टीम के समक्ष पेश होने की शर्त पर जमानत दे दी।
इससे पहले की सुनवाई में मुलिगन ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि स्टरलाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ विरोध नहीं करने को लेकर कुछ अज्ञात लोगों ने अपहरण कर अत्याचार किया और उसे एक गांव में छोड़ दिया गया था जहां एक खानाबदोश समूह ने उसकी देखभाल की थी।
जब वह तिरुपति आए और तमिलनाडु की टे्रन में चढऩे वाला था तभी आंध्र प्रदेश की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर राज्य पुलिस को सौंप दिया। इस साल १५ फरवरी से करीब पांच महीने तक मुगिलन लापता था।