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मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश

locationचेन्नईPublished: Apr 30, 2018 10:30:13 pm

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को गुटखा घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि गुटखा घोटाले में राज्य के…

Madras High Court

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चेन्नई।मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को गुटखा घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि गुटखा घोटाले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सी. विजय भास्कर और पुलिस महानिदेशक टी. के. राजेन्द्रन का नाम आने से काफी समय से तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मची हुई थी। मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्र्जी और न्यायाधीश अब्दुल कुद्दोस की बेंच ने राज्य के विपक्षी दल डीएमके के नेता के. अन्बझगण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया। तमिलनाडु सरकार जिस प्रकार से मामले में सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी, उससे कोर्ट को लगा कि मामले की गहराई में जाना जरूरी है।

इसी बीच कोर्ट द्वारा आए सीबीआई जांच के आदेश के बाद विजयभास्कर ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी प्रकार की गलती नहीं की है इसलिए उन्हें किसी बात का डर नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पब्लिक फिगर के खिलाफ आरोप लगाना तो आम बात है। वहीं विपक्षी पार्टी डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के स्टालिन ने तत्काल में भास्कर और राजेंद्रन के इस्तीफे की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई 2017 को आयकर विभाग ने लगभग 250 करोड़ की कर चोरी के संदेह पर एक गुटखा निर्माता कंपनी के गोदाम, दफ्तर और घरों पर छापा मारा था।

राज्य सरकार ने 2013 में गुटखा और पान मसाला समेत सभी तंबाकू उत्पादों के स्टोरेज और बिक्री पर रोक लगा दी थी। छापे के दौरान विभाग को एक डायरी मिली जिसमें उन लोगों के नाम थे जिन्हें कथित तौर पर पैसे दिए गए थे।

इनमें से एक नाम राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का भी था। यह बात सामने आते ही डीएमके ने कोर्ट में एक विशेष जांच टीम का गठन करने की मांग की। पार्टी की मांग थी कि टीम में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और सीबीआई अधिकारी शामिल हों।

गुटखा मामले में मंत्री व डीजीपी से मांगा इस्तीफा


मद्रास हाईकोर्ट द्वारा गुटखा मामले को सीबीआई को सौंपे जाने के आदेश का स्वागत करते हुए डीएमके कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने राज्य स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर और डीजीपी टी.के. राजेन्द्रन से इस्तीफा की मांग की है। संवाददाताओं से बातचीत में स्टालिन ने कहा मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए पुलिस महानिदेशक और स्वास्थ्य मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। जयकुमार की उस टिपप्णी, जिसमें उन्होंने कहा था कि लगाए गए आरोप अगर सच साबित होते हैं तो ही कार्रवाई की जा सकती हैं, का हवाला देते हुए स्टालिन ने कहा संदेह उनके इस मामले में लिप्त होने को लेकर स्पष्ट हो चुका है, वे अपने पद को जारी रखने के लिए योग्य नहीं हैं। ऐसे में मंत्री अपने पद से इस्तीफा देंगे तो अच्छा होगा।

टी.के. राजेन्द्रन, जिनका सेवानिवृत्ति के बावजूद सेवा विस्तार किया गया है, का हवाला देते हुए स्टालिन ने कहा मुख्यमंत्री ने उनके कार्य को विस्तार देते हुए डीजीपी बनाया था, को भी अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। डीएमके नेता अन्बझगण ने कहा राजेंद्रन के डीजीपी बनने के बाद इस मामले में राज्य की ओर से किए जा रही जांच पर भरोसा नहीं करते हुए कोर्ट में सीबीआई जांच की मांग की गई थी जिस पर कोर्ट ने सराहनीय आदेश दिया है। इसी बीच पीएमके युवा विंग के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने राज्य के मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी के नेतृत्व वाली कैबिनेट के मंत्रियों के इस्तीफा की मांग की।
सीपीआई राज्य सचिव आर. मुत्तअरसन ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय की निगरानी में ही सीबीआई की जांच होना चाहिए। साथ ही उन्होंने डीजीपी और विजयभास्कर के इस्तीफे की मांग की। एमडीएमके महासचिव वाइको ने कहा अपने पद को जारी रखने के लिए डीजीपी के पास कुछ भी नहीं है ऐसे में उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए अन्यथा सरकार उन्हें उनके पद से हटा दे।

 

इसी बीच सचिवालय में टी.के. राजेन्द्रन ने राज्य के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कोर्ट के आए आदेश पर चर्चा की। इससे पहले एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्य के मत्स्य मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि लगाए गए आरोप अगर सच साबित होते हैं तो ही कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कोई भी किसी के खिलाफ कुछ भी आरोप लगा सकता है लेकिन उस आरोप के सिद्ध होने के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है।

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