मद्रास उच्च न्यायालय ने गत महीने सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभश्री की सड़क दुर्घटना में हुई मौत का जिक्र करते हुए कहा कि किसी की बेटी को बहु बनाकर घर लाने की प्रक्रिया में किसी की बेटी को जान गवानी पड़ी। मद्रास हाईकोर्ट ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभश्री की मौत के आरोपित एआईएडीएमके के पूर्व पार्षद सी. जयगोपाल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।
भूमिगत होने की क्या आवश्यकता थीï?
अदालत ने जयगोपाल से पूछा कि जब उन्होंने कोई गलती नहीं की तो भूमिगत होने की क्या आवश्यकता थीï? हाईकोर्ट सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभश्री की सड़क दुर्घटना में गिरफ्तार सी. जयगोपाल व उसके रिश्तेदार मेघनाथन की जमानत पर सुनवाई कर रही थी।
पिता ने एसआइटी जांच व एक करोड मुआवजा मांगा
शुभश्री के पिता ने भी एक याचिका लगाई है जिसमें नियमों का उल्लंघन कर अवैध बैनर लगाने वालों को अधिकतम सजा, उनकी पुत्री की दुर्घटना की एसआइटी जांच व १ करोड़ के मुआवजे की मांग की लगाई है। गौरतलब है कि पूर्व पार्षद ने उनके घर के विवाह को लेकर पल्लीकरणै के सड़क विभाजक पर अवैध होर्डिंग बैनर लगाए थे। वहां से गुजर रही शुभश्री पर एक बैनर गिरा और वह नीचे गिरकर दुर्घटना में मारी गई।
मद्रास हाईकोर्ट सख्त
न्यायाधीश ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा पूर्व पार्षद जयगोपाल से पूछा कि अगर उन्होंने कुछ नहीं किया तो दुर्घटना के बाद १२ दिन तक क्यों छिपे रहे। साथ ही यह भी विचार व्यक्त किया कि अपने घर बेटी लाने के लिए उन्होंने किसी और की बेटी को मार दिया।
सुनवाई 17 अक्टूबर के लिए टाल दी
प्रतिवादी पक्ष ने जवाब देने की मोहलत मांगी जिसे स्वीकारते हुए हाईकोर्ट ने जयगोपाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई १७ अक्टूबर के लिए टाल दी। याची ने दलील दी कि उनके बेटे की शादी के मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रेमवश होर्डिंग-बैनर लगाए थे। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। पूर्व पार्षद ने यह भी आरोप लगाया कि दुर्भावनावश पुलिस ने जबरन उनका नाम प्राथमिकी में जोड़ा है। उनको जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए।