तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी औद्योगिक इकाइयों में पिछड़ी, ग्रेनाइट की कई खदानें बन्द होने से रोजगार पर असर
मदुरै को उद्योगों की दरकार, पेयजल किल्लत से लोग परेशान
-तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी औद्योगिक इकाइयों में पिछड़ी
- ग्रेनाइट की कई खदानें बन्द होने से रोजगार पर असर

मदुरै (तमिलनाडु). तमिलनाडु के दूसरे बड़े शहर मदुरै में इस बार सत्ता संघर्ष तेज होता दिख रहा है। तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाने वाला मदुरै ओद्योगिक इकाइयों की कमी से जूझ रहा है। हर बार चुनाव से पहले उम्मीदवार मदुरै को औद्योगिक हब बनाने का वादा करते हैं लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाते। कभी यहां हैण्डलूम, पॉवरलूम एवं ग्रेनाइट की इण्डस्ट्री थी लेकिन धीरे-धीरे कम हो गई। परफ्यूम फैक्टरी स्थापित करने की मांग भी यहां उठती रही है। पेयजल की किल्लत यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक है। पानी की कमी ने यहां के लोगों के जीवन स्तर को प्रभावित किया है। वेगै नदी को मदुरै की जीवनरेखा कहा जाता है। लेकिन नदी में सीवेज एवं कचरा भरा रहता है।
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जाति देखकर उम्मीदवारों का चयन
जाति यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में उम्मीदवार का जातिगत फैक्टर मायने रखता है। अमूमन हर राजनीतिक दल उम्मीदवार के चयन में जातिगत आधार को देखती है। थेवर समुदाय यहां खासा अधिक है। मदुरै नॉर्थ, मदुरै ईस्ट एवं मेलुर में मुकुलतोर समुदाय अधिक है। मदुरै ईस्ट में सौराष्ट्र के वोटर्स अधिक है तो मदुरै सेन्ट्रल में यादव मतदाता। थेवर समुदाय एआईएडीएमके के पक्ष में मतदान करता रहा है, लेकिन अब टीटीवी दिनकरण के एएमएमके की तरफ रूझान करने लगे हैं।
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मदुरै को तमिलनाडु की दूसरी राजधानी बनाने का मुद्दा
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने पिछले दिनों बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए कहा था कि अगर मौका मिला तो मदुरै को तमिलनाडु की दूसरी राजधानी बनाएंगे। इससे एमजीआर का सपना साकार होगा। इससे एक बार फिर मदुरै को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस बात की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बना लें। भाजपा ने भी मदुरै को तमिलनाडु को दूसरी राजधानी बनाने का पहले समर्थन किया था लेकिन बाद में पीछे हट गई।
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लोकसभा व विधानसभा में अलग-अलग फैक्टर
वैसे लोकसभा की बात की जाएं तो इस क्षेत्र से राष्ट्रीय दलों को अधिक महत्व मिलता रहा है। कांग्रेस यहां से आठ बार जीत चुकी है तो वामदल भी चार बार यहां से फतह कर चुके हैं। यानी डीएमके गठबंधन की सहयोगी दलों को ही यहां से अक्सर जीत मिलती रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव में स्थिति अक्सर बदलती रही है। मौजूदा समय में मदुरै लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधासनभा सीटों में से चार पर एआईएडीएमके विधायक तथा दो पर डीएमके विधायक काबिज है।
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अलगिरि को कम नहीं आंक सकते
मदुरै की लड़ाई बड़ी मानी जा रही है। यहां मुत्तुवेल करुणानिधि अलगिरि (एम.के.अलगिरि) रहते हैं। अलगिरि करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दयालु अम्माल के बेटे हैं। वे केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। 2009 में मदुरै से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे अलगिरि को केन्द्र में केबिनेट मंत्री बनाया गया था। करुणानिधि ने 2014 में अलगिरि को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 2018 में करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी की कमान स्टालिन ने संभाली। अलगिरि का दक्षिण तमिलनाडु में खासा दबदबा रहा है। ऐसे में वे चुनाव में असर डाल सकते हैं।
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प्रमुख समस्याएंः
-बड़े उद्योगों की कमी
- शहर में पानी के मुख्य स्त्रोत वेगै नदी में प्रदूषण
-पेयजल एवं कृषि के लिए पानी का संकट
- कम होती ग्रेनाइट इण्डस्ट्री
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मदुरै लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र व विधायक
मेलूर-पी. पेरियापुलम उर्फ सेल्वम (एआईएडीएमके)
मदुरै ईस्ट- पी. मूर्ति(डीएमके)
मदुरै ऩॉर्थ- वी.वी. राजन चेल्लपा (एआईएडीएमके)
मदुरै साउथ-एस.एस. सरवणन (एआईएडीएमके)
मदुरै सेन्ट्रल-डॉ. पलनीवेल त्यागराजन (डीएमके)
मदुरै वेस्ट- के. राजू (एआईएडीएमके)
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उद्योग लगें तो होगा अधिक विकास
मदुरै जिले में बड़े उद्योगों की कमी खल रही है। यदि मदुरै को औद्योगिक हब बना दिया जाता है तो यह इलाका बहुत अधिक विकसित हो सकता है। यहां सड़क, रेल एवं वायु मार्ग समेत अन्य परिवहन के साधनों की अच्छी सुविधा है। ग्रेनाइट उद्योग को भी पुनर्जीवित कर इलाके को और विकसित किया जा सकता है।
- गणपतलाल राजपुरोहित मोहराई, अध्यक्ष, मदुरै ग्रेनाइट एंड मार्बल एसोसिएसन ऑफ प्रोसेसिंग यूनिट।
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