scriptसाधु आहार में विवेक और संयम रखे | Maintain conscientiousness and patience in a sage diet | Patrika News

साधु आहार में विवेक और संयम रखे

locationचेन्नईPublished: Nov 13, 2018 11:38:05 am

Submitted by:

Santosh Tiwari

-‘ठाणं’ आगम के छठे स्थान में वर्णित आहार के कारण बताए आचार्य ने

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साधु आहार में विवेक और संयम रखे

चेन्नई. माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में आचार्य महाश्रमण ने ठाणं आगम के माध्यम से बताया कि साधु छह कारणों से आहार करता है। भूख को वेदना कहा जाता है। भूख लगे और आदमी को भोजन न मिले तो कष्ट होता है। भूख के कारण आदमी अपराध में भी जा सकता है। इसलिए साधु को भूख की वेदना को समाप्त करने के लिए आहार करना होता है। साधु दूसरों की सहायता व सेवा कर सके, किसी को चित्त समाधि में पहुंचा सके इसके लिए उसे शारीरिक सक्षमता की आवश्यकता होती है और आहार करने से शारीरिक सक्षमता बनी रहती है। इसलिए साधु का आहार करना आवश्यक होता है।
यदि कोई खाना न खाए तो उसे चक्कर आ सकते हैं, वह गिर सकता है। चलने में उसको कठिनाई हो सकती है। इसलिए साधु अपनी ईर्या समिति को पुष्ट बनाए रखने के लिए आहार ग्रहण करता है। साधु संयम जीवन की सुरक्षा के लिए आहार करता है। लंबे समय तक प्राण को धारण करने के लिए साधु को आहार करना होता है। साधु धर्म की चिंता और अनुप्रेक्षा के लिए आहार करता है। इस प्रकार इन छह कारणों से साधु को आहार करना आवश्यक होता है।
उन्होंने कहा शरीर भोजन के लिए अपेक्षित है। भोजन सहायता देने वाला और उत्पात करने वाला भी हो सकता है। इसलिए आदमी को अपने भोजन में विवेक रखने का प्रयास करना चाहिए। शारीरिक सक्षमता और साधना आदि के लिए संयमयुक्त आहार ग्रहण करने का प्रयास करें। भोजन हितकर और मितकर हो। साधु भोजन ग्रहण की सार्थकता को बनाए रखने का प्रयास करे।
प्रवचन के बाद चेन्नई चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के परिसर संयोजक सुरेश कुमार मूथा ने विचार व्यक्त किए। जैन विश्व भारती द्वारा वर्ष 2018 का ‘संघ सेवा पुरस्कार’ शासनसेवी चंपक के. मेहता को प्रदान किया गया। जैन विश्व भारती व महासभा के पदाधिकारियों ने उनको स्मृतिचिन्ह प्रदान किया गया। मेहता के साथ चेन्नई चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष जे. गौतम सेठिया ने भी विचार भी व्यक्त किए।
इस मौके पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष हंसराज बैताला ने मनोहरी देवी डागा ‘समाज सेवा पुरस्कार’ वर्ष 2018 के लिए रतनलाल दफ्तरी के नाम की घोषणा की। केवलचन्द माण्डोत ने अहिंसा यात्रा के लिए महासभा को मीडिया वैन भेंट की जिसकी प्रतीकात्मक चाबी महासभा के प्रधान न्यासी कन्हैयालाल जैन पटावरी, हंसराज बैताला, बिनोद बैद, ज्ञानचंद आंचलिया आदि को सौंपी। महासभा की ओर से माण्डोत को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
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