अहंकार भगाइए, विनम्रता लाइए संतप्रवर षुक्रवार को श्री सकल जैन संघ द्वारा सतुवाचारी के जैन स्थानक में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अहंकार भगाइए, विनम्रता लाइए। अहंकार हथोड़ा है तो विनम्रता चाबी। याद रखिए, हथोड़े से ताला टूटता है और चाबी से खुलता है। अपनी प्रतिष्ठा को लम्बे अरसे तक बनाए रखने के लिए हाथ की सच्चाई और बात की सच्चाई सदा बनाए
रखिए। दिये हुए वचन और लिये हुए संकल्प को हर हाल में निभाने का प्रयास कीजिए। उन्होंने कहा कि प्रेम सबसे कीजिए, पर गुस्सा किसी पर मत कीजिए। क्रोध आपके व्यक्तित्व को धूमिल करता है, वहीं प्रेम उसे और अधिक निखारता है। क्रोध की बजाय शांति को तवज्जो दीजिए। ईष्र्या की बजाय सम्मान की भावना पैदा कीजिए और चिंता की बजाय खुशमिजाज रहने की कोशिश कीजिए। सहनशीलता बढ़ाइए। छोटी-छोटी बातों में हताश मत होइये। चिड़-चिड़ापन आपके रिश्तों में खटास घोलेगा। मुस्कुराइए और सबसे प्रेमचारा बढ़ाइए। जो चंदन घिसता है वह भगवान के चरणों में चढ़ता है जो लकड़ी अकड़ी हुई रहती है वह केवल जलाने के काम आती है। छोटी-मोटी बातों को लेकर तकरार मत कीजिए। आप सही हैं तब भी बहस मत कीजिए। राई का पहाड़ बनाने से केवल रंजिश ही बढ़ती है।
रखिए। दिये हुए वचन और लिये हुए संकल्प को हर हाल में निभाने का प्रयास कीजिए। उन्होंने कहा कि प्रेम सबसे कीजिए, पर गुस्सा किसी पर मत कीजिए। क्रोध आपके व्यक्तित्व को धूमिल करता है, वहीं प्रेम उसे और अधिक निखारता है। क्रोध की बजाय शांति को तवज्जो दीजिए। ईष्र्या की बजाय सम्मान की भावना पैदा कीजिए और चिंता की बजाय खुशमिजाज रहने की कोशिश कीजिए। सहनशीलता बढ़ाइए। छोटी-छोटी बातों में हताश मत होइये। चिड़-चिड़ापन आपके रिश्तों में खटास घोलेगा। मुस्कुराइए और सबसे प्रेमचारा बढ़ाइए। जो चंदन घिसता है वह भगवान के चरणों में चढ़ता है जो लकड़ी अकड़ी हुई रहती है वह केवल जलाने के काम आती है। छोटी-मोटी बातों को लेकर तकरार मत कीजिए। आप सही हैं तब भी बहस मत कीजिए। राई का पहाड़ बनाने से केवल रंजिश ही बढ़ती है।
अपनी प्रशंसा और औरों की निंदा की आदत से बचिए
चेहरे के सौंदर्य पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय अपने जीवन कोसुन्दर बनाने का प्रयास कीजिए। जीवन की सुन्दरता कुरूप चेहरे को भी ढक देती है। जीवन में दूसरों को झुकाने की नहीं, स्वयं झुकने की भावना रखिए। आम
ज्यों-ज्यों पकता है त्यों-त्यों डाली झुकती है। अकड़ी डालियों पर तो खट्टी कैरी ही लगा करती है। उनके प्रति सदा धन्यवाद-भाव रखिए जिन माता-पिता से आप पैदा हुए हैं, अपने उन बड़े भाई-बहिनों के प्रति जिन्होंने आपको पाला है, उस धर्मपत्नी के प्रति जिससे आपको जीवन का सुकून मिला है और उन कर्मचारियों के प्रति जिनकी बदौलत आपके पास दौलत है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रशंसा और औरों की निंदा की आदत से बचिए। आत्म-प्रशंसा आपको अहंकारी का पद दे सकती है और निंदा आलोचक का। सदा मधुर वचनों का उपयोग कीजिए। कड़वी बात का भी मधुर जवाब दीजिए। जैसे पिस्तौल से छूटी गोली और माँ के पेट से निकला बच्चा वापस भीतर नहीं जा सकता वैसे ही बोले हुए वचन को वापस लौटाया नहीं जा सकता।
चेहरे के सौंदर्य पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय अपने जीवन कोसुन्दर बनाने का प्रयास कीजिए। जीवन की सुन्दरता कुरूप चेहरे को भी ढक देती है। जीवन में दूसरों को झुकाने की नहीं, स्वयं झुकने की भावना रखिए। आम
ज्यों-ज्यों पकता है त्यों-त्यों डाली झुकती है। अकड़ी डालियों पर तो खट्टी कैरी ही लगा करती है। उनके प्रति सदा धन्यवाद-भाव रखिए जिन माता-पिता से आप पैदा हुए हैं, अपने उन बड़े भाई-बहिनों के प्रति जिन्होंने आपको पाला है, उस धर्मपत्नी के प्रति जिससे आपको जीवन का सुकून मिला है और उन कर्मचारियों के प्रति जिनकी बदौलत आपके पास दौलत है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रशंसा और औरों की निंदा की आदत से बचिए। आत्म-प्रशंसा आपको अहंकारी का पद दे सकती है और निंदा आलोचक का। सदा मधुर वचनों का उपयोग कीजिए। कड़वी बात का भी मधुर जवाब दीजिए। जैसे पिस्तौल से छूटी गोली और माँ के पेट से निकला बच्चा वापस भीतर नहीं जा सकता वैसे ही बोले हुए वचन को वापस लौटाया नहीं जा सकता।
कुँए में उतरने वाली बाल्टीयदि झुकेगी तो ही पानी भरकर ला पायेगी याद रखिए, हर बात सोचने की तो होती है, पर बोलने की नहीं होती। जो सोचा है वह मत बोलिए अपितु बोलने से पहले यह भी सोच लीजिए कि क्या बोला जाए और कितना बोला जाए। हर जगह सम्मान पाने की कोशिश मत कीजिए। औरों को सम्मानित होते देखकर खुशी अनुभव कीजिए। इससे बढ़कर आपका सम्मान क्या हो सकता है कि आप अपने हाथों औरों को सम्मान दे रहे हैं।उन्होंने कहा कि जीवन में विनम्रता की आदत डालिये। कुँए में उतरने वाली बाल्टीयदि झुकेगी तो ही पानी भरकर ला पायेगी। जीवन का भी यही गणित है जो नमेगा वह सबको गमेगा। दादागिरी तो हम मरने के बाद भी कर सकते है लोग पैदल चलेंगे और हम उनके कंधो पर। अपने हाथों से औरों का सदा भला करने की कोशिश कीजिए। सदा याद रखिए कि औरों का हित करने वाला दैवीय मार्ग का अनुयायी होता है जबकि स्वार्थ से घिरा हुआ इंसान भगवत-कृपा से वंचित होता है। विपत्ति आये तो कोई आपत्ति मत कीजिये। उसका धैर्य पूर्वक सामना कीजिये। अग्नि से गुजरकर सोना और अधिक निखरता ही है।
हे प्रभु हम पर दया की मधुर मंगल छावं हो…भजन पर झूमे श्रद्धालु-जब संतप्रवर ने हे प्रभु हम पर दया की मधुर मंगल छावं हो, जिंदगी हो खूबसूरत खूबसूरत भाव हो. का भजन गाया तो सभी सत्संगप्रेमी झूमने लग गए। इससे पूर्व राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर महाराज, संत श्री चन्द्रप्रभ महाराज और डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागर महाराज जैन स्थानक में धूमधाम से आगनम हुआ। कार्यक्रम में वृद्धिचंद सिंघवी, रमेष कटारिया, राजेष कोठारी, महेष डूंगरवाल, मीठालाल गादिया, अमित सुराणा, सुभाष बेताला, अषोक लोढा, अमित कोठारी, कमल भण्डारी आदि अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
हे प्रभु हम पर दया की मधुर मंगल छावं हो…भजन पर झूमे श्रद्धालु-जब संतप्रवर ने हे प्रभु हम पर दया की मधुर मंगल छावं हो, जिंदगी हो खूबसूरत खूबसूरत भाव हो. का भजन गाया तो सभी सत्संगप्रेमी झूमने लग गए। इससे पूर्व राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर महाराज, संत श्री चन्द्रप्रभ महाराज और डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागर महाराज जैन स्थानक में धूमधाम से आगनम हुआ। कार्यक्रम में वृद्धिचंद सिंघवी, रमेष कटारिया, राजेष कोठारी, महेष डूंगरवाल, मीठालाल गादिया, अमित सुराणा, सुभाष बेताला, अषोक लोढा, अमित कोठारी, कमल भण्डारी आदि अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।