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MCH ने मांगी : कार्ति का मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के आदेश की प्रति

locationचेन्नईPublished: Sep 11, 2019 01:58:19 pm

Submitted by:

shivali agrawal

Madras High Court ने अभियोजन पक्ष को Karti Chidambaram के खिलाफ मुकदमा सांसद और विधायकों के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत को स्थानांतरित करने के निचली अदालत court के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश दिया है।

MCH ने मांगी : कार्ति का मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के आदेश की प्रति

MCH ने मांगी : कार्ति का मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के आदेश की प्रति

मद्रास उच्च न्यायालय ने मांगी
चेन्नई. Madras High Court ने अभियोजन पक्ष को Karti Chidambaram के खिलाफ मुकदमा सांसद और विधायकों के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत को स्थानांतरित करने के निचली अदालत court के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति पीडी आदिकेशवलू ने एगमोर के सामने स्थित अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित कार्ति और उनकी पत्नी श्रीनिधि के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा शुरू आपराधिक मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को यह निर्देश दिया।

इसके बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद के लिए मुकर्रर की। सुनवाई के लिए मामला आने पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दायर जवाबी हलफनामे में मामला स्थानांतरित करने को उचित ठहराया गया।
रजिस्ट्रार जनरल ने अपने जवाब में कहा कि ये मामले उच्चतम न्यायालय के 12 सितंबर, 2001 के आदेशों के अनुरूप स्थानांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कथित रूप से किए गए अपराध आय कर कानून की धारा 279ए के तहत वर्गीकृत किए गए है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पर जिन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं उनके लिए एक ऐसी अवधि के लिए जेल का प्रावधान है, जो छह महीने से कम नहीं होगी और जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा उन पर जुर्माना भी किया जा सकता है।

जवाबी हलफनामे में आगे कहा गया कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के कैडर की अदालत को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की अदालत को आय कर कानून के उल्लंघन से संबंधित मुकदमों की सुनवाई का विशेष अधिकार नहीं है ।
इसमें कहा गया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के आलोक में विशेष अदालत को मामला स्थानांतरित किए जाने में कोई कानूनी विसंगति नहीं है जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है।

कार्ति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एआरएल सुंदरेशन ने कहा कि उन्हें केवल रजिस्ट्रार जनरल के परिपत्र की प्रति दी गई, लेकिन मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश की प्रति नहीं दी गई।

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