पूर्व सुनवाई में हाईकोर्ट की Madurai खण्डपीठ ने सरकार से इन कैदियों की रिहाई से जुड़े दस्तावेज पेश करने को कहा था।
सरकार की ओर से रिहाई को लेकर जारी शासनादेश और अन्य दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए।
न्यायिक पीठ ने प्रश्न किया कि हत्याकांड के आरोपियों को दलित उत्पीडऩ कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया गया है जो कि निराशाजनक है।
इस मामले में समय पूर्व रिहाई हासिल कर चुके सभी तेरह कैदियों को जवाबी पक्षकार बनाया जाए।
मामले के अनुसार 1997 में मदुरै जिले के मेलूर के निकट मेलवलवु गांव के सरपंच मुरुगेशन सहित 7 जनों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में 17 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।