आर्थिक हालत इन दिनों ठीक नहीं
व्यापारियों की मानेें तो कपड़ा उद्योगों की आर्थिक हालत इन दिनों ठीक नहीं है। उनमें सुधार की दरकार है। व्यापारियों को उम्मीद हैं कि एक्सपोर्ट बढ़ाकर आर्थिक हालात सुधारने के लिए सरकार कोई कदम उठा सकती है। व्यापारियों का कहना है कि अभी बाहरी देशों से कपड़ा इंपोर्ट हो रहा है। सरकार यदि बाहर से आने वाले कपड़े पर ड्यूटी लगाती हैं तो बाहर से आया कपड़ा लोगों के लिए खरीदना महंगा होने से लोग घरेलू मार्केट का कपड़ा अधिक खरीदेंगे।
व्यापारियों की मानेें तो कपड़ा उद्योगों की आर्थिक हालत इन दिनों ठीक नहीं है। उनमें सुधार की दरकार है। व्यापारियों को उम्मीद हैं कि एक्सपोर्ट बढ़ाकर आर्थिक हालात सुधारने के लिए सरकार कोई कदम उठा सकती है। व्यापारियों का कहना है कि अभी बाहरी देशों से कपड़ा इंपोर्ट हो रहा है। सरकार यदि बाहर से आने वाले कपड़े पर ड्यूटी लगाती हैं तो बाहर से आया कपड़ा लोगों के लिए खरीदना महंगा होने से लोग घरेलू मार्केट का कपड़ा अधिक खरीदेंगे।
छोटे कारोबारियों की तकलीफों पर ध्यान देने की जरूरत
कपड़ा व्यापारियों का यह भी मानना है कि जीएसटी की दरें 5 एवं 12 प्रतिशत अलग-अलग होने से भी व्यापारियों को परेशानी हो रही है। एक हजार तक पांच प्रतिशत जीएसटी तथा इससे ऊपर 12 प्रतिशत जीएसटी लगती है। साथ ही छोटे कारोबारियों की तकलीफों पर ध्यान देने की जरूरत है। बजट को लेकर राजस्थान पत्रिका की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कपड़ा व्यापारियों ने आगामी बजट को लेकर कई उम्मीदें जताई। राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने परिचर्चा का संयोजन किया।
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अब नोटबंदी का असर खत्म
८ नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबन्दी का एलान किया था तब अचानक पांच सौ एवं एक हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने का फैसला किया था। महीनों तक कैश की किल्लत के बाद अब स्थिति करीब-करीब पटरी पर आ चुकी है।
-डॉ. केशरसिंह राजुपरोहित गादाणा, कपड़ा व्यापारी
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बजट से उम्मीदें
रोटी, कपड़ा एवं मकान मनुष्य की बुनियादी जरूरतों मेें शामिल हैं। कपड़ा प्रमुख जरूरतों में से एक हैं। कपड़ों पर कर का बोझ कम कर राहत देनी चाहिए। मंदी का असर निसंदेह कपड़ा व्यापार पर भी पड़ा है। ऐसे में व्यापारियों को इस बजट से बहुत उम्मीदें हैं।
– अनिल केला, कपड़ा व्यापारी
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आर्थिक मंदी का असर
मंदी के कारण भी कई व्यापारियों को दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ा है। कई लोग दूसरेे कारोबार की तरफ डाइवर्ट हो चुके हैं। महंगाई, पानी की कमी एवं अन्य कुछ कारणों से व्यापारियों को पलायन करना पड़ा है। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
– भोमाराम टाडा, कपड़ा व्यापारी
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कपड़ों पर कर का बोझ कम हो
जीएसटी का यदि सरलीकरण किया जाता है तो इसका व्यापारियों को फायदा मिल सकता है। व्यापारी जीएसटी के मकडज़ाल में उलझ कर रह गए। करों में समानता तो हो ही, साथ ही जीएसटी की दरों को भी कम किया जाए। कपड़ों पर कर का बोझ कम से कम किया जाना चाहिए।
– नवलकिशोर केला, कपड़ा व्यापारी
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कपड़ा व्यापारियों का यह भी मानना है कि जीएसटी की दरें 5 एवं 12 प्रतिशत अलग-अलग होने से भी व्यापारियों को परेशानी हो रही है। एक हजार तक पांच प्रतिशत जीएसटी तथा इससे ऊपर 12 प्रतिशत जीएसटी लगती है। साथ ही छोटे कारोबारियों की तकलीफों पर ध्यान देने की जरूरत है। बजट को लेकर राजस्थान पत्रिका की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कपड़ा व्यापारियों ने आगामी बजट को लेकर कई उम्मीदें जताई। राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने परिचर्चा का संयोजन किया।
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अब नोटबंदी का असर खत्म
८ नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबन्दी का एलान किया था तब अचानक पांच सौ एवं एक हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने का फैसला किया था। महीनों तक कैश की किल्लत के बाद अब स्थिति करीब-करीब पटरी पर आ चुकी है।
-डॉ. केशरसिंह राजुपरोहित गादाणा, कपड़ा व्यापारी
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बजट से उम्मीदें
रोटी, कपड़ा एवं मकान मनुष्य की बुनियादी जरूरतों मेें शामिल हैं। कपड़ा प्रमुख जरूरतों में से एक हैं। कपड़ों पर कर का बोझ कम कर राहत देनी चाहिए। मंदी का असर निसंदेह कपड़ा व्यापार पर भी पड़ा है। ऐसे में व्यापारियों को इस बजट से बहुत उम्मीदें हैं।
– अनिल केला, कपड़ा व्यापारी
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आर्थिक मंदी का असर
मंदी के कारण भी कई व्यापारियों को दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ा है। कई लोग दूसरेे कारोबार की तरफ डाइवर्ट हो चुके हैं। महंगाई, पानी की कमी एवं अन्य कुछ कारणों से व्यापारियों को पलायन करना पड़ा है। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
– भोमाराम टाडा, कपड़ा व्यापारी
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कपड़ों पर कर का बोझ कम हो
जीएसटी का यदि सरलीकरण किया जाता है तो इसका व्यापारियों को फायदा मिल सकता है। व्यापारी जीएसटी के मकडज़ाल में उलझ कर रह गए। करों में समानता तो हो ही, साथ ही जीएसटी की दरों को भी कम किया जाए। कपड़ों पर कर का बोझ कम से कम किया जाना चाहिए।
– नवलकिशोर केला, कपड़ा व्यापारी
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