उन्होंने कहा उनकी निष्क्रियता से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रशासन को नियंत्रित किया जा रहा है, जबकि आचार संहित लागू है और डीजीपी को बिना किसी पोस्टिंग के अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखा गया है। स्टालिन ने डीजीपी से 10 महिला आईपीएस अधिकारियों द्वारा दायर शिकायत, जिसमें महिला एसपी को मौत की धमकी के बाद अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, पर भी ध्यान देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री पर पोलाच्ची मामले में लिप्त आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए स्टालिन ने कहा कि आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी, जिस पर यौन उत्पीडऩ का आरोप था, के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई।
राज्य सरकार ने शुक्रवार को यौन उत्पीडऩ के मामले की जांच के लिए गठित पैनल के एक सदस्य को बदल भी दिया। स्टालिन ने कहा कि वे जानना चाहते हैं कि इस प्रकार के अपराध में लिप्त दो पुलिस अधिकारियों को अब तक निलंबित या गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। डीएमके और अन्य संगठनों द्वारा प्रदर्शन के बाद ही एफआईआर दर्ज किया गया था। स्टालिन ने कहा कि राज्य की महिलाएं आगामी विस चुनाव में मुख्यमंत्री को सटिक सबक सिखाएंगी।