केंद्र और राज्य सरकार ने उनको चौंकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोक नृत्य और संगीत ने उनका मन मोहा। संभवत: उनको इन सबकी आदत नहीं थी।
अनौपचारिक शिखर वार्ता की उनके लिए इससे बेहतर शुरुआत भी नहीं हो सकती। जहां तक नए भारत का सवाल है वह इसलिए कि अब कश्मीर पूरी तरह से भारत में शामिल हो चुका है। केंद्र सरकार ने उसका विशेष दर्जा समाप्त कर दिया है।
जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी कि शनिवार को होने वाली वार्ता में यह चर्चा अवश्य होगी। सांस्कृतिक विनिमय और कार्यक्रमों के आदान-प्रदान कि भी बातें होगी जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं।
वार्ता के लिए चुनी गई जगह ऐतिहासिक है तो यह वार्ता भी। भारत-चीन के बीच आर्थिक सम्बन्ध दोनों देशों के कूटनीतिक मत पर निर्भर करते हैं। अब जब देश का व्यापार घाटा बढ़ रहा है तब ठोस कदम उठाए जाने के साथ सरहद के मसले पर चीन को प्यार से ही सही आंखें दिखाने कि भी जरूरत है।
प्रधानमंत्री से देश को उम्मीद है कि वे चीन के राष्ट्राध्यक्ष को सहलाते हुए समझाएंगे कि नया भारत बदल चूका है। दबाकर और हथियाने जैसी चालें अब नागवार होंगी।