हिन्दी के महत्व को बताते हुए उन्होंने तमिलनाडु में हिन्दी की दशा एवं दिशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज हिन्दी की मांग तथा रोजगार के अवसर केवल उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी अधिक है।
हिन्दी के भविष्य को हर क्षेत्र से जोड़ते हुए उन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा बताया कि आज सी.बी.एस.सी. में टॉप करने वाले तमिल भाषी ज्यादा हैं क्योंकि उनमें हिन्दी सीखने की ललक और जिज्ञासा है। हिन्दी व्याकरण में होने वाली त्रुटियों एवं पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किस प्रकार किया जाए इसे उन्होंने बखूबी बताया तथा छात्राओं द्वारा किए सवालों के जवाब दिए। साथ ही उनकी समस्याओं का सरल ढंग से समाधान बताया। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने भविष्य में हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अतिथि का परिचय हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. हर्षलता शाह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सरोज सिंह ने किया।