तुत्तुकुड़ी में पर्यावरण संरक्षण को लेकर हो रहा आंदोलन
तुत्तुकुड़ी में पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देते हुए हो रहे आंदोलन में जहां १२ लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई है

चेन्नई. तुत्तुकुड़ी में पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देते हुए हो रहे आंदोलन में जहां १२ लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई है और तमिलनाडु पर्यावरण के लिए कथित रूप से हानिकारक परियोजनाओं की चुनौती का सामना कर रहा है वहीं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की दक्षिणी कमान कोरम के अभाव में आठ महीने से निष्क्रिय है। एनजीटी में अक्टूबर २०१७ से कोरम नहीं है।
विडम्बना यह है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन, व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी के न्यायिक और एक्सपर्ट के रिक्त पद भरने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। वहीं, एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष ने भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है।
सूत्रों के अनुसार अन्य एनजीटी शाखाओं में सर्किट बेंच की व्यवस्था की गई है जहां न्यायिक और एक्सपर्ट सदस्य १० दिन तक सुनवाई करते हैं और लम्बित और जरूरी मामलों का निपटारा करते हैं।
मसलन, एनजीटी की प्रधान शाखा से न्यायिक सदस्य जस्टिस रघुवेंद्र एस. राठौड़ और एक्सपर्ट सदस्य नगीन नंदा इस महीने की शुरुआत में सुनवाई व निपटारे के लिए सेंट्रल जोन भोपाल गए थे। इसी तरह कोलकाता की एनजीटी पूर्वी कमान में जस्टिस एसपी वांगड़ी और नगीन नंदा गए थे।
बहरहाल, जब बात चेन्नई स्थित दक्षिणी कमान की हो तो स्थिति बिलकुल विपरीत है। यहां ४ जनवरी से कुछ कार्य नहीं हुआ है। जस्टिस एमएस नम्बीयार उक्त तारीख को सेवानिवृत्त हुए थे। एनजीटी की वेबसाइट पर बुधवार को अपलोड मामलों की सुनवाई २५ जुलाई तक स्थगित किए जाने की सूचना है।
दिल्ली निवासी पर्यावरण मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता जो तमिलनाडु के हाईप्रोफायल वाले केसों की एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करते हैं बड़ी हैरत से पूछते हैं कि क्यों चेन्नई एनजीटी की अनदेखी हो रही है? इस परिस्थिति में प्रभावित पक्षकारों को दिल्ली अथवा हाईकोर्ट जाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि एनजीटी पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रदूषण में लिप्त लोगों को दण्डित करने के पर्यावरण से जुड़े मामलों के त्वरित व प्रभावी निपटारे के लिए बनाया गया है। यह एक विशेष इकाई है जो पर्यावरणीय विवादों और बहुअंतर्विषयक मामलों के निपटारे के लिए है। इतने महिनों से इसके बंद रहने से इसके गठन का उद्देश्य विफल हो गया है।
हस्ताक्षर अभियान
इस बीच तमिलनाडु के पर्यावरणीय समूहों ने एनजीटी को फिर से सक्रिय करने को लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। इनकी ओर से पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। कंज्यूमर फेडरेशन, तमिलनाडु के महासचिव एम. निजामुद्दीन जो इस दस्तखत अभियान के संचालक हैं का कहना है कि बेंच की निष्क्रियता हमारे वैधानिक अधिकारों पर कुण्डली मारने की तरह है जो संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत हमें प्राप्त है। इसके अलावा प्रधान बेंच दिल्ली तक जाना हमारे लिए बहुत ही खर्चीला और थकावट भरा साबित होता है।
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