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मुमुक्षु अनिला बेन की दीक्षा ६ जून को

locationचेन्नईPublished: Nov 17, 2018 05:56:08 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

दीक्षा मंगल मुहूर्त प्रदान का निकला वरघोड़ा

mumukushu anila ben's deeksha on june 6

मुमुक्षु अनिला बेन की दीक्षा ६ जून को

चेन्नई. नवी मुंबई से पधारे बनासकांठा निवासी मुमुक्षु अनिला बेन मेहता का दीक्षा मंगल मुहूर्त प्रदान का वरघोड़ा चडुआल निवासी संघवी महेंद्रकुमार शांतिलाल खींवसरा के गृह आंगन से उल्लासपूर्वक प्रारम्भ होकर वेपेरी उपाश्रय पहुंचा। आचार्य जगच्चंद्रसूरीश्वर की निश्रा में श्री वेपेरी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ के अध्यक्ष संघवी तेजराज कोठारी ने सभी का स्वागत किया। मेहता परिवार से दीक्षित, गुरुदेव के शिष्य-मात्र एक द्रव्य एवं पानी से 50 आयम्बिल ठाम चौविहारपूर्वक करने वाले तपस्वीरत्न विजयचन्द्र विजय के अनासक्त एवं आश्चर्यजनक तपोमय जीवन पर प्रकाश डाला, वे अभी तिरुचि में चातुर्मासार्थ विराजमान है, उनकी सांसारिक धर्मपत्नी अनिला बेन को दीक्षा के मुहूर्त प्रदान के प्रसंग पर सभी उपस्थित हुए। गुरुदेव ने भागवती प्रव्रज्या शुभ मुहूर्त प्रदान किया – जेठ सुद 3, 06 जून 2019 को चेन्नई में दीक्षा की उद्घोषणा हुई, सभी हर्ष और आनंद में झूमने लगे।
19 अप्रेल से जहां गुरुदेव की निश्रा में उपधान प्रारम्भ हो रहा है ऐसे श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन नवग्रह मंदिर ट्रस्ट (ई .सी.आर) एवं श्री तमिलनाडु जैन महामण्डल से गौतम जैन आदि ट्रस्ट मंडल ने गुरु भगवंत से दीक्षा का प्रसंग अपने संकुल में करने की विनती की। ट्रस्ट के उत्तम भाव को देखकर गुरुदेव ने सरलता से स्वीकार कर नवग्रह मंदिर ट्रस्ट को दीक्षा महोत्सव की अनुमति प्रदान की। तत्पश्चात मुमुक्षु अनिला बेन का वेपेरी संघ द्वारा हर्षा महेन्द्र ने सम्मान किया। उद्घोषणा समारोह का संचालन संघवी मनोज राठौड़ ने किया।
गुण को धारण करने से दूर होते हैं अवगुण

चेन्नई. राजेन्द्र भवन में मुनि संयमरत्न विजय व भुवनरत्न विजय ने कहा कि लोभी प्राणी जिस प्रकार धन में आसक्त रहता है, वैसे ही पंडित पुरुष गुण-ग्रहण करने में ही सदैव तत्पर रहते हैं। धागे का संग करके जिस प्रकार बिखरे हुए मोतियों से एक सुंदर माला बन जाती है,वैसे ही गुण के कारण मानव मालामाल बन जाता है। जिस तरह धनुष में लगा हुआ धागा दूसरों को पीड़ा देने में सहायक होता है, वैसे ही दुर्जन प्राणी में रहा हुआ गुण भी उसके लिए लाभकारी सिद्ध नहीं होता।
पवित्र वेषभूषा बनाने के लिए निर्मल वस्त्र चाहिए। बुद्धि के वैभव से मनोहर विद्या की प्राप्ति होती है तथा दिव्य धन की प्राप्ति अत्यंत परिश्रम से होती है किंतु वस्त्र, बुद्धि और उद्यम के परिचय से कभी भी गुणों का समूह प्राप्त नहीं होता। जिस धागे गुण के संयोग से पत्थर के टुकड़े भी मोती के आभूषण बनकर महिला के हृदयस्थल पर सुशोभित होते हैं, वैसे ही गुणों का संग करने वालों का जीवन शोभायमान होता है। गुणों का समूह जिस प्रकार की गौरवता को प्राप्त होता है, वैसी गौरवता तो शरद ऋतु के पूर्ण चांद को, बुद्धिमान व कामदेव को भी प्राप्त नहीं होती। गुणों के कारण ही जीव जगत में पूजनीय बनता है। गुणों की ही सर्वत्रपूजा होती है, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं। इस अवसर पर उज्जैन की ११ वर्षीय बालिका तन्वी गोलेचा ने चातुर्मास विदाई गीत गाकर गुरु के प्रति अपने सुंदर भाव प्रस्तुत किए।
सभी ने अनुमोदना की।
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