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मुनि प्रज्ञासागर चेन्नई में

locationचेन्नईPublished: Jun 14, 2018 09:48:15 pm

मुनि प्रज्ञासागर मंगलवार को चेन्नई महानगर में मंगल प्रवेश हुआ। आदिनाथ खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर कोंडीतोप में सरिता जैन, विमल सेठी

Muni Pragya Singh in Chennai

Muni Pragya Singh in Chennai

चेन्नई।मुनि प्रज्ञासागर मंगलवार को चेन्नई महानगर में मंगल प्रवेश हुआ। आदिनाथ खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर कोंडीतोप में सरिता जैन, विमल सेठी, पदमचंद धोका, राजकुमार बडज़ात्या, जुगराज बडज़ात्या ने उनकी अगवानी की एवं पूजा व पाद प्रक्षालन कर गुरु आराधना की। इस अवसर पर मुनि ने कहा महानगर में आने वाले सभी साधार्मिकों के लिए आवास, भोजन के लिए बनाई गई धर्मशाला सराहनीय कार्य है। जैन भवन यदि विशाल रूप में चेन्नई जैसी जगह पर बनता है तो यह दिगम्बर जैन समाज के लिए गौरव की बात होगी।

आज इस मामले में श्वेताम्बर जैन समाज ने हर स्थान पर मंदिर धर्मशालाएं बनाई हैं जहां कोई रहता नहीं है फिर भी वहां विशाल रूप में निर्माण किया है इसलिए यहां के समाज जनों से मेरा यही कहना है कि वे हिम्मत के साथ आगे आएं। हम भी कमजोर नहीं है। हम भी चाहे तो बहुत कुछ कर सकते हंै। मेरी प्रेरणा यदि आपको एक नेक कार्य करने में सहयोग देगी। मुनि ने कहा किसी भी संस्था या संस्थान को चलाने के लिए तीन लोगों की आवश्यकता पड़ती है समर्थ, समझदार, समर्पित समर्थ, जो अपनी संपत्ति को उदार भाव से लगा सके ऐसे समर्थ लोगों से ही ऐसे कार्य पूर्ण होते हैं।

वर्तमान में सुधर जाएं भविष्य अपने आप सुधरेगा


मंगलवार को सैदापेट जैन स्थानक में धर्मसभा को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने संबोधित किया। इस अवसर पर चेन्नई के उपनगरीय इलाकों से अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने उपस्थित होकर गुरु दर्शन, प्रवचन श्रवण का लाभ लिया।

उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य का निर्माण वर्तमान में रहकर ही किया जाता है। जो व्यक्ति वर्तमान को ध्यान में रखकर कार्य करता है उसका वर्तमान तो सुधरता ही है साथ ही भविष्य का निर्माण भी होता है। जो आत्मा का अस्तित्व स्वीकार करते हैं। जो व्यक्ति जानबूझकर गलत आदतों में पड़ता है, उसका तो भविष्य तो बिगड़ेगा उससे पहले उसका वर्तमान पहले ही भी बिगड़ जाएगा।

उपाध्याय प्रवर ने महाभारत का प्रसंग बताते हुए कहा कि जब श्रीकृष्ण ने कौरवों की भरी सभा में उपस्थित सभी जनों को भविष्य में होने वाले महाभारत के विनाश का पूरा दृश्य दिखा दिया था। लेकिन उन्होंने जानबूझकर उसे अनदेखा किया और अपनी गलतियों के कारण विनाश को आमंत्रित किया।

उपाध्याय प्रवर ने उपस्थित अभिभावकों को आज के परिदृश्य में बढ़ रहे धर्मांतरण की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि हमें देव, गुरु और धर्म के प्रति अपने बच्चों को आस्थावान बनान चाहिए। उन्होनें समझाया कि हमें अपने बच्चों को धर्म और संस्कार देने चाहिए। ताकि आने वाले समय में वे अपने पथ से विचलित न हों, अपने धर्म पर अडिग रहें।

बच्चों को अनावश्यक संस्कृति से भटकाने वाली सामग्रियां उपलब्ध कराने पर ध्यान आकर्षित करते हुए गुरुदेव ने कहा कि यदि हम अपने बच्चों को ही नहीं संभाल सके तो अपने परिवार और समाज को कैसे संभाल पाएंगे अपने धर्म की किस प्रकार रक्षा कर पाएंगे। इसलिए हमें अपने आने वाली पीढ़ी को संस्कावान बनाने पर जोर देना चाहिए। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि का प्रवचन कार्यक्रम बुधवार को भी सैदापेट जैन स्थानक में होगा।

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