अतिथि प्राध्यापक डॉ. आरले श्रीकांत ने प्रेमचंद के कहानियों में वर्णित किसानों की समस्याओं और संस्कृति के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डॉ. आनंद पाटील, डॉ. मधुलिका बेन पटेल, डॉ. रजनीश मिश्रा, डॉ. प्रियंका उपस्थित रहे और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एसवीएसएस नारायण राजू ने अध्यक्षीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रेमचंद के पात्र समाज में आज भी किसी न किसी रूप में जीवित हैं। उन्होंने प्रेमचंद के मुंशी प्रेमचंद हो जाने का रोचक संस्मरण भी साझा किए। कार्यक्रम का संचालन आशीष तथा धन्यवाद ज्ञापन सतीश चंद्र सी. ने किया।