कार्यक्रम की शुरुआत संगीता बिहानी एवं संगीता मुथा ने दीप प्रज्वलित कर की। कार्यक्रम की शुरुआत में पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को समर्पित ‘भारत हम को जान से प्यारा है’ गीत पेश किया गया। कार्यक्रम में संस्कृति के 24 कलाकारो ने 24 गानों की बिना रुकावट प्रस्तुति दे कर वाह-वाही लूटी। कार्यक्रम के चेयरमैन मुकेश मुथा ने पुरे कार्यक्रम की सुन्दर संयोजना की। बैकस्टेज का काम मदन सुराणा और उनकी टीम ने संभाला। स्टेज और साउंड अशोक फोमरा और अशोक कोठरी ने किया। संस्कृति टीम ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। संचालन चंद्रमोहन दामनी एवं अरुण वैदमुथा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहमंत्री प्रमोद गादिया ने किया।
श्रद्धा केवल शब्दात्मक नहीं अनुभवात्मक हो
वडपलनी जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा श्रद्धावान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। श्रद्धा रूपी बीज से मोक्ष रूपी फल मिलता है। हर साधक को अपने आराध्य देव गुरु धर्म के प्रति दृढ़ श्रद्धा, अटूट आस्था एवं विपुल विश्वास होना चाहिए। सम्यक श्रद्धा ही धर्म की नींव है। धर्म, आराधना, रूढि़, आडंबर दिखावे के लिए नहीं बल्कि उसमें अंतर्मन से श्रद्धा जुडऩी चाहिए।
जिस प्रकार सांस के बिना जीवन नहीं चल सकता उसी प्रकार विश्वास के बिना आध्यात्मिक जीवन नहीं टिक सकता। श्रद्धा केवल शब्दात्मक नहीं, अनुभवात्मक होनी चाहिए। शंका ही अनर्थ का मूल है। इससे सभी गुणों का नाश हो जाता है। श्रद्धा विवेक की सहचरी है। होली चातुर्मास के उपलक्ष्य में मुनि वृंद की प्रेरणा से सामूहिक तेले तप की आराधना श्रावक श्राविकाओं ने प्रारंभ की। संचालन मंगलचंद भंसाली ने किया।