यही स्थिति पुदुचेरी की है जहां उपराज्यपाल किरण बेदी और सीएम नारायणसामी के बीच अधिकारों की जंग गत तीन साल से चल रही है। मंत्रिमंडल द्वारा किए गए निर्णयों में किरण बेदी द्वारा रुकावट पैदा करने का आरोप है। राज्य सरकार का आरोप है कि बेदी ने राशन व पोंगल उपहार वितरण भी नहीं होने दिया। अब वे हेलमेट की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने के इरादे से डीजीपी सुंदरीनंदा को निर्देश दे चुकी हैं।
उनके इस फरमान से सीएम नारायणसामी गुस्सा गए। उन्होंने अपने नियंत्रण वाली पुलिस के कामकाज में उपराज्यपाल की दखल पर गहरा रोष जताया। उनका कहना था कि हेलमेट मामले में पुदुचेरी में तीस हजार मुकदमे दर्ज किए गए हैं जिसका प्रभाव लोकसभा चुनाव में पड़ेगा।
इस वजह से मुख्यमंत्री ने विधायकों के साथ विधानसभा में मंत्रणा की। फिर काले कपड़े पहनकर राजनिवास की ओर विरोध रैली निकाली। सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा किए गए इस प्रदर्शन से वहां सनसनी फैल गई। केंद्र की भाजपा सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किरण बेदी के खिलाफ नारेबाजी हुई। सीएम समेत उनके साथी विधायक राजनिवास के प्रवेश द्वार पर बैठ गए। वे वार्ता के लिए भी तैयार नहीं थे और उपराज्यपाल को बाहर बुलाने पर डटे रहे।
दूसरे दिन कांग्रेस को सहयोगी दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिल गया। किरण बेदी ने पुलिस की कमान संभालने वाले सीएम के ही धरने पर बैठ जाने की वजह से गृह मंत्रालय को सूचना देकर अद्र्धसैन्य बल भेजने को कहा। तत्काल एनएलसी और चेन्नई से सीआइएसएफ की टुकडिय़ों को वहां भेजा गया।
सीएम ने पत्रकारों से कहा कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार की कार्यवाही विघ्न उत्पन्न करने का आरोप लगाया। पुदुचेरी में हेलमेट की अनिवार्यता को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना था लेकिन किरण बेदी ने तानाशाही तरीके से एक ही दिन में इसे लागू कर दिया। किरण बेदी यहां क्या कर रही है उसके बारे में अन्य राज्यों को अवगत कराने के लिए हम धरने पर बैठे हैं। जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती हम प्रदर्शन करेंगे। वे उपराज्यपाल पद पर बने रहने लायक नहीं हैं।