गांवों को संवार रहे प्रवासी, जनप्रतिनिधि के नाते लिख रहे विकास की नई इबारत, राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर विशेष
आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर विशेष
गांवों को संवार रहे प्रवासी, जनप्रतिनिधि के नाते लिख रहे विकास की नई इबारत
चेन्नई
Published: April 23, 2022 11:55:13 pm
चेन्नई. अपनी जन्मभूमि राजस्थान से निकलकर कर्मभूमि तमिलनाडु को बनाया। लेकिन प्रवासी जड़ों से जुड़े रहे। यही वजह है कि तमिलनाडु को कर्मभूमि बनाने के बावजूद राजस्थान के लोगों का स्नेह बना रहा और कई प्रवासी राजस्थान में जनता के सहयोग से जनप्रतिनिधि बने। ऐसे में आज भी कई प्रवासी है जो कर्मभूमि के साथ अपनी जन्मभूमि को भी बखूबी संभाल रहे हैं। कोई प्रवासी गांव के सरपंच के नाते तो कोई जिला परिदष सदस्य व पंचायत समिति सदस्य के नाते अपने इलाके में विकास की इबारत लिख रहे हैं। प्रवासियों ने जनप्रतिनिधि के नाते जमीनी स्तर पर गांवों के विकास में सहभागिता निभाई है। प्रवासी जनप्रतिनिधियों की मानें तो अगर कुछ करने का हौसला हो तो गांव की सूरत बदली जा सकती है। गांव में ढांचागत सुविधाएं, जैसे-शहर से जोड़ने वाली सड़कें, पक्के मकान, बिजली, पानी और शौचालय की सुविधा विकसित करने में उनका अहम योगदान रहा है। कोरोना के दौरान भी जनप्रतिनिधि के नाते गांव में किए गए उपायों और किसानों की मदद की। पूरे गांव में स्प्रे करवाया। मास्क बांटे। स्कूल बंद होने के कारण घरों में बैठे बच्चों की पढ़ाई बाधित होते देख कई प्रवासी जनप्रतिनिधयो ने अपने खर्चे पर जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को कापियां-किताबें बांटी।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर वर्ष 24 अप्रेल को मनाया जाता है। इस वर्ष 24 अप्रेल 2022 को 13वां राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाएगा। पहला पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था। तब से भारत में हर वर्ष 24 अप्रेल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर केन्द्रीय पंचायत राज देश भर में मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत किया जाता है।
गाँधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। इस लिए देश का विकास गाँवों से शुरु हो। गाँधी जी ने कहा था कि अगर गाँव पर खतरा पैदा होता है तो पूरे भारत में खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने सशक्त भारत का सपना देखा था। भारत में बलवंत राय मेहता की सिफ़ारिश पर 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पारित किया गया। जिसके अन्तर्गत राज्य स्तर पर त्रिस्तरीय सरकार का गठन किया गया। उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित हैं।
इच्छाशक्ति से गांवों का कायापलट कर सकते हैं
उद्देश्य बेहतर हो तो जनसेवा के लिए राजनीति से बड़ा कोई माध्यम नहीं हो सकता। अगर सरकारी योजनाओं को सही ढंग से अपनाएं तो गांव खुद ही बदल जाएंगे। बस, इच्छाशक्ति चाहिए। गांव के विकास को लक्ष्य बनाकर यदि काम किया जाएं तो गांवों की कायापलट हो सकती है। पाली जिले के मोहराई ग्राम पंचायत में विकास के खूब काम करवाए गए है। एक करोड़ 57 लाख की लागत से मोहराई ग्राम में अस्पताल का निर्माण करवाया जा रहा है। पचास लाख की लागत से रणछोड़सागर मॉडल तालाब बन रहा है। पन्द्रह लाख की लागत से रुकमणि सरोवर बनाया गया है। मातुश्रीमती रूकमाबाई रणछोड़सिंह राजपुरोहित राजकीय प्राथमिक संस्कृत बालिका विद्यालय में 28 लाख की लागत से स्टेडियम का निर्माण करवाया जा रहा है। करीब 35 लाख रुपए की लागत से राजकीय सीनियर सैकण्डरी स्कूल में स्टेडियम बनाया जा रहा है। करीब डेढ़ करोड़ की लागत से ग्रेवल सड़कें एवं पुलिया निर्माण करवाया गया है। इसके साथ ही कोरोना महामारी के समय क्षेत्र में करीब एक हजार से अधिक खाद्य सामग्री के पैकेट का वितरण किया गया। इससे पहले उनके बड़े भाई रेंवतलाल राजपुरोहित करीब 15वर्ष तक गांव के सरपंच रहे। देवीसिंह राजपुरोहित की धर्मपत्नी सायरदेवी राजपुरोहित भी पांच वर्ष तक गांवकी सरपंच रही। अब उनकी मोहराई ग्राम को जिले का सर्वश्रेष्ठ व सबसे आदर्श गांव बनाने की इच्छा है।
- देवीसिंह राजपुरोहित, सरपंच, मोहराई ग्राम पंचाचत जिला-पाली, मदुरै प्रवासी।

Devi Singh Rajpurohit, Sarpanch, Mohrai (Pali)
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