उन्होंने कहा जीवन को परमात्मा जैसे बनाने के लिए खुद के मन को उनके चरणों में लगाना चाहिए। परमात्मा के चरणों में बैठकर गुरुवाणी जीवन में उतारने के बाद ही जीवन में सफलता मिलेगी। जब मनुष्य परमात्मा के गुणों को जीवन से जोडऩेे का प्रयास करता है तो उसकी भक्ति और प्रार्थना सफल हो जाती है। उन्होंने कहा परमात्मा के प्रति सच्चे भाव होने पर परमात्मा स्वयं ही ऐसे भक्त के पास चल कर आ जाते है। मन, वचन और काया से परमात्मा की पूजा और सेवा करना चाहिए।
ऐसा सेवा भाव रखने वाले मनुष्य परमात्मा के नजरों में हर पल रहते हैं। अगर मनुष्य खुद को परमात्मा के नजरों में आगे देखना चाहता है तो उसे भी ऐसे ही सेवा भाव करने की जरूरत है। सागरमुनि ने कहा कि मनुष्य को चारित्र और तप इसी भव में मिलेगा, इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ज्ञान की आराधना के साथ चारित्र की आराधना भी करनी चाहिए क्योंकि मनुष्य भव में ही चारित्र का आराधना करना संभव है। यह जीवन एक बार गया तो वापस लौट कर नहीं आएगा। इस भव को सुधारने के लिए अपनी दृष्टि को सुधारना होगा। जब तक दृष्टि नहीं सुधरेगी तब तक सृृष्टि नहीं सुधर पाएगी।
गौतममुनि का 66वां जन्मदिवस कल
एसएस जैन संघ माम्बलम के तत्वावधान एवं श्रमणसंघीय उपप्रवर्तक विनयमुनी वागीश के सानिध्य में आगामी 27 दिसम्बर गुरुवार को गौतम मुनि गुणाकर का 66 वां अवतरण दिवस तप-त्याग के साथ सामायिक दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इस अवसर पर सुबह 9.00 बजे से 9.30 बजे तक नवकार मंत्र का सामूहिक जाप 9.30 बजे से 10.30 बजे तक गुणानवाद सभा एवं अन्य धार्मिक व पुण्य के कार्य आयोजित किये जायेंगे। इस मौके पर भगवान महावीर सेवा समिति के अन्नदानम का कार्यक्रम भी रखा गया है । यह जानकारी एस. एस.जैन संघ माम्बलम के उपाध्यक्ष डॉ एम उत्तमचन्द गोठी ने दी।