ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद ३ जून को राजकीय विद्यालय खुले। पहले ही दिन विद्यार्थियों को मुफ्त पुस्तकें, नोटबुक और अन्य सामग्री का वितरण शुरू किया गया। ऐसे में बारहवीं की तमिल पुस्तक का आवरण पृष्ठ चर्चा का विषय बन गया जिसमें महाकवि भारतीयार का सफेद साफा रंगीन यानी भगवा रंग में दिखाई दिया। आवरण पृष्ठ की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल रही।
स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि भारतीयार की तस्वीर को भारतीय ध्वज तिरंगे का रूप दिया गया है। उसके पीछे कोई गलत उद्देश्य नहीं है। तमिल की इस पाठ्यपुस्तक में भारतीयार से जुड़ा एक अध्याय भी है। उस पाठ में भी उनको किसी धर्म अथवा जाति विशेष का नहीं बताया गया है। लेकिन इसका बेवजह गलत अर्थ निकाला जा रहा है।
डीएमके नेता और पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री तंगम तेन्नअरसु ने भी आपत्ति जताई कि इस तरह के रूप में भारतीयार को पहले कभी किसी ने देखा है? विद्यार्थियों के दिल-दिमाग में भारतीयार की यह नई छवि विकसित करने की कोशिश हो रही है।
आवरण पृष्ठ के डिजायनर कदिर का कहना है कि पृष्ठ पर हम तिरंगा दिखाना चाहते थे और वही एकमात्र उद्देश्य था। एक तमिल शिक्षक ने भी कहा कि हमने अभी तक भारतीयार के साफे को सफेद वर्ण में ही देखा है और विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क में भी वही छवि कैद है लेकिन यह अब हमारे लिया नया अनुभव है।