scriptविशेषज्ञों की कसौटी पर नई शिक्षा नीति | New education policy on the criterion of experts | Patrika News
चेन्नई

विशेषज्ञों की कसौटी पर नई शिक्षा नीति

chennai आरुम्बाक्कम स्थित डीजी वैष्णव कॉलेज में बुधवार को केंद्र सरकार की प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के मसौदे पर परिचर्चा हुई।

चेन्नईAug 01, 2019 / 03:50 pm

shivali agrawal

news,language,Chennai,Tamilnadu,Special,Breaking,tamilnadu news,Chennai news in hindi,

विशेषज्ञों की कसौटी पर नई शिक्षा नीति

चेन्नई. आरुम्बाक्कम Arumbakkam स्थित डीजी वैष्णव कॉलेज में बुधवार को केंद्र सरकार की प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के मसौदे पर परिचर्चा हुई। इसकी शुरुआत प्रार्थना और दीप प्रज्वलन से हुई। बल्लभाचार्य विद्या सभा के अध्यक्ष एच.के. झावर ने स्वागत भाषण दिया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आर. गणेशन ने अतिथियों का परिचय देते हुए शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं और स्कूली शिक्षा में बदलाव को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की स्कूली शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही होनी चाहिए। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित कॉलेज के सचिव अशोक कुमार मूंदड़ा ने कहा विद्या को बांटा नहीं जा सकता है। कोठारी समिति से लेकर आज तक शिक्षा नीति में कई बार बदलाव हुए लेकिन ज्यादातर नीतियां कागजों पर ही सिमट कर रह गई। गुरुकुल से लेकर आधुनिक शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव आया है। अब आवश्यकता है कि शिक्षा को रोजगार परक बनाने के साथ ही मानवता और इंसानियत से भी जोड़ा जाए।
अण्णा विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. एम. आनंदकृष्णन ने शिक्षा की अनिवार्यता को देखते हुए मसौदे पर आयोजित परिचर्चा के लिए कॉलेज का धन्यवाद किया। उन्होंने नई शिक्षा नीति के कई ऐसे बिंदुओं को चिन्हित किया जिन्हें लागू करना चुनौतीपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि बिल में कोर्स विशेष में प्रवेश के लिए जो संयुक्त प्रवेश परीक्षा और विवि से जुड़े कॉलेजों को लेकर मान्यता का प्रावधान है वह विवादास्पद है।
तीन भाषाई फॉर्मूले और स्कूली शिक्षा में बदलाव को भी उन्होंने विवादास्पद बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से अगर कॉलेजों को अगल किया गया तो कॉलेज अपने हिसाब से डिग्री देगा। डिग्री होल्डर पैदा करने के बजाय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की बात की जाए तो बेरोजगारी घटेगी।
एडवाइजरी कमेटी (एनसीपीसीआर) गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ बी. रामासामी ने कहा कि मसौदे के सकारात्मक पहलुओं पर अगर ध्यान दिया जाए तो इसमें विरोध करने वाला एक भी प्रस्ताव नहीं दिखेगा। केंद्र ने विशेषज्ञों से विचार विमर्श करने के बाद ही मसौदा तैयार किया है। चुनाव के दौरान शिक्षकों को मतदान केंद्रों में लगाने के साथ पोलियो की खुराक देने के लिए भी लगाया जाता है। लेकिन नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को इन चीजों से दूर किया जाएगा। शिक्षक अगर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करें तो सही है। इसका विरोध करने के बजाय अगर शिक्षा की गुणवत्ता की ओर ध्यान दिया जाए तो सही होगा।
प्रोफेसर एम.जी सेतुरमन ने कहा कि नीति कोई भी हो हमेशा सही ही होती है लेकिन उसको शुरू करना मुश्किल होता है। इससे पहले भी शिक्षा के क्षेत्र में कई नई नीतियां आई लेकिन उसे शुरू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर भ्रष्टाचार खत्म हो जाए तो नीति बनाने की जरूरत ही नहीं होगी। शिक्षा हमेशा शिक्षाविदों के हाथों में ही होनी चाहिए। इसी प्रकार से डॉ अकिला राधाकृष्णन, डॉ. जन्धाला बी.जी. तिलक, जयश्री नंबीयार, शिवा सुब्रमण्यम और पीबी प्रिंस गजेंन्द्र बाबू ने भी विभिन्न बिंदुओं पर भी अपने विचार रखे। परिचर्चा में २० कॉलेज और ६० स्कूल के प्रचार्य और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

Home / Chennai / विशेषज्ञों की कसौटी पर नई शिक्षा नीति

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो