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बढ़ते हृदय रोगियों को नवीन चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने दिखाई उम्मीद की नई किरण

locationचेन्नईPublished: Oct 17, 2021 11:41:51 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

-पूरी तरह ठीक हो रहे कृत्रिम हृदय पर रहने वाले रोगी, हृदय प्रत्यारोपण अब राज्यों के 2 टायर सिटी में भी

बढ़ते हृदय रोगियों को नवीन चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने दिखाई उम्मीद की नई किरण

बढ़ते हृदय रोगियों को नवीन चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने दिखाई उम्मीद की नई किरण

चेन्नई.
गंभीर रूप से बीमार अंतिम चरण के हृदय रोगियों को कृत्रिम हार्ट से उम्मीद की एक नई किरण मिली है। इससे रोगियों के पूरी तरह से स्वस्थ होने के साथ ही उनका हार्ट सपोर्ट सिस्टम बेहतर काम कर रहा है। कुछ मामलों में कृत्रिम हार्ट के हटाने के बाद भी रोगी के स्वस्थ होने का मामला भी आया है। इसी क्रम में हाल ही केरल में पहली बार एक 61 वर्षीय महिला का कृत्रिम हृदय प्रतिरोपण किया गया है। भारत में इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी और अब तक 70 लोगों को इससे लाभ मिल चुका है। यही नहीं अब हृदय प्रत्यारोपण में भी देश आगे है। कई राज्यों के टायर टू सिटी में भी हृदय प्रत्यारोपण होने लगा है। भारत में डेढ़ करोड़ लोग हार्ट फेल्यूर से पीड़ित हैं। चिकित्सकों की माने तो 50 प्रतिशत हार्ट फेल्यूर के मामले ठीक हो जाते हैं। इसके लिए विशेष पेसमेकर, एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी की जाती है। हृदय प्रत्यारोपण गंभीर अंतिम चरण के टर्मिनल हार्ट फेल्योर का एकमात्र इलाज विकल्प है।
1100 हृदय प्रत्यारोपण के परिणाम अमरीका एवं यूरोप के समान
आकड़ों के अनुसार भारत में अब तक 1100 हृदय प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं। इसके परिणाम अमरीका एवं यूरोप के समान हैं। वर्तमान में मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलूरु एवं दिल्ली तथा कुछ राज्यों के टू टायर सिटी में हृदय प्रत्यारोपण किया जाता है। जाने माने हार्ट सर्जन नंदकिशोर कपाड़िया ने बताया कि हृदय प्रत्यारोपण के बाद रोगी को 3 से 4 सप्ताह हास्पिटल में रहना पड़ता है। उसे जीवन भर दवा लेनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि हृदय प्रत्यारोपण के बाद रोगी को नियमित अंतराल पर ईसीजी, 2 डी इको और हार्ट बायोप्सी जैसे विभिन्न परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि विश्व में हृदय प्रत्यारोपण से सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले व्यक्ति ने 33 वर्ष को पार कर लिया है जो वास्तव में उत्साहजनक है।
ये हैं कारण
देश में हार्ट फ्लेयूर के अधिकांश मामले दिल के दौरे, स्थिर जीवन शैली, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, तनाव उच्च कोलेस्ट्रोल के कारण होते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में आनुवंशिक कारक हृदय की विफलता के कारण हैं। यही नहीं कुछ अज्ञात कारण बच्चे को जन्म देने का बाद महिलाओं में दिल की फेल्यूर होने का कारण बनते हैं। कुछ मामलों में कैंसर के इलाज के लिए की गई कीमोथेरेपी गंभीर हार्ट फेल्यूर का कारण बनती है।

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