वहां की जमीन पट्टे पर दी हुई है। इसलिए रहवासियों में आपसी सहमति से ही ये काम होते हैं। उस दिन शव को ले जाने के लिए किसी ने बात नहीं की और न किसी ने शव ले जाने से इनकार किया। विडियो के सामने आने के बाद वेलूर जिला प्रशासन द्वारा उस क्षेत्र में रहने वाले दलित समुदाय को श्मशान घाट के लिए आधा एकड़ जमीन आवंटित कर दी गई।
इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने पूछा था कि राज्य सरकार क्यों समाज को बांटना चाहती है। इस प्रकरण में वानियम्बाड़ी शहर के पास स्थित पालर नदी के तट पर दलितों और उच्च जाति के लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। उच्च जाति वालों ने अपने हिस्से की सड़क को फेंन्सिग कर, दलितोंं के लिए बंद कर दिया।
बुधवार को वायरल हुए एक विडियो में इस क्षेत्र के दलित एक शव को अंतिम संस्कार के लिए पालार नदी के पुल से स्ट्रेचर पर रखकर रस्सियों के सहारे नीचे उतारते दिख रहे हैं।
जानकारी लेने पर पता चला कि नारायणपुरम की दलित कालोनी निवासी कुप्पन 55 की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के बाद उसका शव परिजनों को सौंप दिया गया। जहां उसकी बस्ती है उसके पास अरसलम-तिरुवनंतपुरम-नारायणपुरम पुल के निर्माण के बाद दूसरी जातियों के लोगों ने नदी तक जाने वाले मार्ग पर अतिक्रमण कर लिया है और दूसरी तरफ मौजूद श्मशान घाट तक दलितों की आवाजाही इस रास्ते और उनके खेतों से रोक दी गई है।
कुप्पन के भतीजे ने बताया कि शनिवार को जब हमने चाचा के शव को सार्वजनिक रास्ते से ले जाने की कोशिश की तो उन लोगों ने हमें रोक दिया। किसी भी तरह की झड़प से बचने के लिए हमने अंतिम संस्कार के लिए पुल से नीचे उतार कर शव ले जाने का फैसला किया। दलित कालोनी के एक रहवासी ने बताया कि श्मशान में जगह की कमीं के कारण हम नदी के किनारे मृतकों का अंतिम संस्कार कर रहे हंै।
हालांकि दलितों ने कहा उन्हें किसी भी तरह के जातिगत भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है और दूसरी जाति वालों से किसी तरह का खतरा भी नहीं है। हमने प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए विडियो बनाया था।