इस बस टर्मिनस के चारों ओर से गुजरने वाली सड़कों का कई बार डामरीकरण हो चुका है जिससे वे काफी ऊंची हो गई जिसके चलते यह टर्मिनस नीचे होता चला गया। यही कारण है कि जल जमाव इस टर्मिनस की एक बड़ी समस्या बन गया है। ईसीआर और तिरुवल्लूर सालै के किनारे बसा यह बस टर्मिनस सड़क से लगभग तीन फीट गहराई में चला गया है। बरसात के समय यह टर्मिनस तालाब का रूप ले लेता है। पूरे परिसर में जल जमाव होने से यात्रियों को आवाजाही में जद्दोजहद करनी पड़ती है। टर्मिनस परिसर में प्रवेश करते समय बस चालकों को भी हिचकोले खाने पड़ते हैं।
इस टर्मिनस की इस दशा के लिए महानगर निगम की उदासीनता जिम्मेदार है। उसने कभी इस ओर ध्यान दिया ही नहीं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन की उदासीनता के कारण ही यह बस टर्मिनस इस हालत में पहुंचा है। बरसों बीत गए लेकिन न तो इसका आंगन ऊंचा हो पाया है और न ही इसकी चारदीवारी की मरम्मत हो पाई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस टर्मिनस में जमा बारिश का पानी निकलने की भी कोई सुविधा नहीं है जिससे पानी कई दिन तक जमा रहता है।
टर्मिनस की पूर्वी एवं उत्तरी दिशा की चारदीवारी पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है जिसके चलते लोग सीधे ही टर्मिनस में आवागमन करते हैं। स्थानीय दुकानदार नागराजन ने बताया कि टर्मिनस की सुरक्षा के लिए बनी चारदीवारी वर्षों पहले ही ध्वस्त हो गई थी, इसकी सतह भी जर्जरित है एवं प्लेटफार्म जगह जगह टूटा हुआ है। यात्रियों के बैठने की बेंचें भी टूट कर बिखर गई है। लेकिन कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।