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तीसरे बच्चे पर नहीं मिलेगा मातृत्व लाभ : मद्रास हाईकोर्ट

locationचेन्नईPublished: Mar 03, 2020 07:15:09 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

जुड़वां का जन्म दो प्रसव
 

हाईकोर्ट को क्यों कहना पड़ा हमारे कंधे पर बंदूक रख गोली चलाने की कोशिश मत कीजिए

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चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि पहले प्रसव में जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली कार्यशील महिला के दूसरे प्रसव से होने वाले बच्चे को तीसरी संतान माना जाएगा तथा वह मातृत्व लाभ की अधिकारी नहीं होंगी।
मुख्य न्यायाधीश एपी शाही और जज सुब्रमण्यम प्रसाद की पहली पीठ ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिट अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त व्यवस्था दी।

न्यायिक पीठ ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की महिला सदस्य को एकल जज द्वारा मंजूर की गई १८० दिन की मातृत्व छुट्टी को निरस्त कर दिया।


प्रथम पीठ ने कहा कि विद्यमान नियमों के तहत एक महिला अपने पहले दो प्रसवों के लिए प्रसूति अवकाश ले सकती है। भले ही यह बहस का मसला हो कि यह दूसरा प्रसव है। लेकिन सही बात यह है कि जब जुड़वां बच्चे होते हैं तो वे एक के बाद एक जन्म लेते हैं। उनकी आयु में भी वरिष्ठता होती है और जन्म लेने का समय भी अलग-अलग होता है। यह प्रक्रिया एकसाथ नहीं होती इसलिए जुड़वां बच्चों के जन्म को दो प्रसव माना जाएगा।

यह अपील याचिका केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से थी। मंत्रालय ने सिंगल जज के आदेश को चुनौती दी थी कि महिला याची जो सीआइएसएफ में हैं, ने तमिलनाडु के नियमों के तहत प्रसूति अवकाश के लिए आवेदन किया था। लेकिन उन पर सेंट्रल सिविल सर्विस (अवकाश) नियम लागू होते हैं।

प्रथम पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि याची को मातृत्व लाभ उसी सूरत में मिलता जब उनके दो से अधिक बच्चे नहीं होते। एकल जज ने उनके अवकाश को दी गई मंजूरी के वक्त इस तथ्य की अनदेखी कर दी। लिहाजा हम १८ जून २०१९ को जारी आदेश को निरस्त करते हैं।

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