चेन्नई

रायपुरम जोन में कम हुई कोरोना की रफ्तार, 52 स्लम इलाकों में 7 दिन से कोई मामले नहीं

अधिकारियों का कहना है कि गिरते मामलों का यह आंकड़ा बेहद सकारात्मक है जो बता रहा है कि स्थिति अब कंट्रोल में आती दिखाई दे रही है।

चेन्नईJun 08, 2020 / 06:09 pm

PURUSHOTTAM REDDY

No new cases for a week in 52 slums of Royapuram Zone

चेन्नई.

चेन्नई में कोरोना वायरस की रफ्तार डरा रही है। विशेषकर रायपुरम जोन में नियमित बढ़ रहे कोरोना के मामले स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम अधिकारियों के लिए चिंता बढ़ा रही है। इस बीच रोशनी की एक किरण भी दिखी है।

रायपुरम जोन के 52 स्लम इलाकों में पिछले एक सप्ताह से कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम कर्मियों के चेहरे थोड़ खिले है। अधिकारियों का कहना है कि गिरते मामलों का यह आंकड़ा बेहद सकारात्मक है जो बता रहा है कि स्थिति अब कंट्रोल में आती दिखाई दे रही है।

रायपुरम जोन की आबादी 7.5 लाख है जबकि 175 स्लम इलाकों में 2 लाख लोग रहते है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार कोरोना के अधिक मामले रायपुरम जोन के स्लम इलाके जैसे संकीर्ण गलियां और घनी आबादी वाले इलाकों से आई है। रायपुरम जोन में 175 स्लम इलाके है जिनमें 52 नोटिफाइड स्लम इलाके है। नोटिफाइड स्लम इलाकों में पिछले एक सप्ताह से कोरोना वायरस से संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है और पिछले दो और तीन दिनों से अन्य स्लम इलाकों में भी कोरोना को कोई मामला नहीं आया है।

अधिकारियों को कहना है कि झुग्गी-झोपड़ी इलाके में कोरोना के नए मामले कम होते जा रहे हैं। नोटिफाइड स्लम इलाकों में शामिल पीआरएन गार्डन में अभी कोई नहीं मामला नहीं आया है जबकि एक समय यहां 53 कोरोना के मामले थे। एक हफ्ते से कोरोना के मामले लगातार नीचे आ रहा है। अण्णै सत्यावाणी मुत्तु नगर में जहां 11 मामले दर्ज हुए थे अभी पिछले 20 दिनों से एक भी मामला नहीं है। रायपुरम के कई नोटिफाइड स्लम इलाकों में कोरोना का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि कबासूरा कूडीनीर, कीटाणुरहित अभियान और मुफ्त में मास्क का वितरण से रायपुरम जोन में कोरोना संक्रमण पर काबू पाया गया है। इसके अलावा हम फ्री कैंप और क्लीनिक चला रहे है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि प्रॉपर स्क्रीनिंग, अच्छी मेडिकल फैसिलिटी और सैनिटाइजेशन के लिए किए गए इंतजामों की वजह से आंकड़ों में सुधार आया है। वहीं स्लम इलाकों में रहने वाले बुजुर्ग और बच्चों को स्थानीय स्कूल और कॉलेजों में शिफ्ट कर रहे है। इसी वजह से नए केस की संख्या घटना लगी।

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