खंडपीठ के न्यायाधीश पीएन प्रकाश व न्यायाधीश बी. पुगलेन्दी की पीठ ने यह निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि उनके ध्यान में लाया गया है कि जांच की मानिटरिंग कर रहे तुत्तुकुड़ी के प्रधान जिला न्यायाधीश को पुलिसकर्मी कोआपरेट नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले कोर्ट ने मजिस्टे्रेट को पुलिस स्टेशन का दौरा करने व संबंधित दस्तावेजों की फोटोकापी इकट्ठी करने का सुझाव दिया था। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट को सतनकुमल पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों को बयान भी लेने के लिए कहा था जहां हिरासत के दौरान उन्हें रखा गया था। लेकिन अब पुलिस के कोआपरेट न करने की बात सामने आने पर न्यायालय ने कलक्टर को निर्देशित किया है कि वे पुलिस स्टेशन को अपने नियंत्रण मे लेकर राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति करें।
न्यायालय ने फोरेंसिंक विज्ञान विभाग के अतिरिक्त निदेशक को निर्देशित किया कि अपनी विशेषज्ञ टीम भेजकर मेटेरियल कलेक्ट करें। यदि जरूरत हो तो रिजनल फोरेंसिंक साइंस लेबोरेटरी से विशेषज्ञ बुला सकते हैं।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता के. चेल्लापांडियन ने जब कोर्ट से दोनों की मौत के मामले को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ट्रांसफर के लिए परमिशन चाही तो न्यायालय ने कहा कि यह सरकार को तय करना है। हम इस बारे में कुछ नहीं कहते। हालांकि जब तक सबूतों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक न्यायालय ने तुत्तुकुड़ी पुलिस अधीक्षक व कोविलपट्टी पुलिस उप आयुक्त को इस मामले में दर्ज एफआईआर संबंधी केस डायरी को मु य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपने के लिए कहा ताकि इसे सीबीआई के सुपुर्द किया जा सके। न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस को लगातार मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग भी दिलाई जाएं। ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों। कुछ बुरे लोगों के कारण पूरी पुलिस फोर्स को बदनाम नहीं किया जा सकता है।