सामाजिक कार्यकर्ता पी. सेंथिल कुमार और पत्रकार एन. बालमुरुगन द्वारा जारी जनहित याचिका, जिसमें भाजपा को वेल यात्रा आयोजित करने की अनुमति देने से रोकने का आग्रह किया गया है, पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने यह जवाब दिया। सरकारी वकील के जवाब का विरोध करते हुए भाजपा के वकील वी. राघवाचेरी ने कहा कि राज्य कानून से ऊपर नहीं है और इसे केंद्र द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करना होगा। केंद्र द्वारा जारी गाइडलाइंस में इस प्रकार के धार्मिक सभाओं को अनुमति दी गई है। जिसके बाद न्यायाधीश एपी साही और सेंथिलकुमार रामामूर्ति की खंडपीठ ने कहा कि पार्टी राज्य सरकार द्वारा 31 अक्टूबर को जारी आदेश, जिसमें 15 तक सभाओं की अनुमति नहीं है, को चुनौती दिए बिना इस प्रकार के सभा का आयोजन नहीं कर सकती है।
जिसके बाद राघवचेरी ने कहा कि रैली की अनुमति को लेकर सरकार को प्रतिनिधित्व भेजा गया था और यदि सरकार जीओ का हवाला देते हुए प्रतिनिधित्व को रद्द कर देती तो जीओ के खिलाफ चुनौती की गई होती। लेकिन संबंधित अधिकारी इस ओर अब तक किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिए हैं। उन्होंने कहा प्रस्तावित यात्रा वाहन से होगी और इस दौरान किसी प्रकार का भीड़ भाड़ नहीं होगा। इस पर स्वीकृति देने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इस तरह के मौखिक प्रस्तुतिकरण पर भरोसा नहीं कर सकती हैं। रैली को अनुमति देने के लिए राज्य सरकार उचित निर्णय दे सकता है। अगर इस तरह के आदेश से किसी भी पक्ष की याचिकाएं खारिज हो जाती हैं तो वे अदालत में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है। इस प्रकार से कोर्ट ने दलिलो का निपटारा किया।