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भाजपा की प्रस्तावित वेल यात्रा को अनुमति नहीं

locationचेन्नईPublished: Nov 05, 2020 06:08:05 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ने कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए भाजपा की प्रस्तावित वेल यात्रा को अनुमति नहीं देने का तय किया है।

भाजपा की प्रस्तावित वेल यात्रा को अनुमति नहीं

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-राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया
चेन्नई. तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ने कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए भाजपा की प्रस्तावित वेल यात्रा को अनुमति नहीं देने का तय किया है। महाधिवक्ता विजय नारायण ने कोर्ट को बताया कि भाजपा द्वारा 6 नवंबर से 6 दिसंबर के बीच तिरुतन्नी से तिरुचंदूर तक वेल यात्रा निकालने की योजना बनाई गई है। लेकिन 31 अक्टूबर को सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश के अनुसार 100 लोगों के साथ 15 नवंबर के बाद ही धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक भीड़ भाड़ को अनुमति दी जाएगी।

 

सामाजिक कार्यकर्ता पी. सेंथिल कुमार और पत्रकार एन. बालमुरुगन द्वारा जारी जनहित याचिका, जिसमें भाजपा को वेल यात्रा आयोजित करने की अनुमति देने से रोकने का आग्रह किया गया है, पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने यह जवाब दिया। सरकारी वकील के जवाब का विरोध करते हुए भाजपा के वकील वी. राघवाचेरी ने कहा कि राज्य कानून से ऊपर नहीं है और इसे केंद्र द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करना होगा। केंद्र द्वारा जारी गाइडलाइंस में इस प्रकार के धार्मिक सभाओं को अनुमति दी गई है। जिसके बाद न्यायाधीश एपी साही और सेंथिलकुमार रामामूर्ति की खंडपीठ ने कहा कि पार्टी राज्य सरकार द्वारा 31 अक्टूबर को जारी आदेश, जिसमें 15 तक सभाओं की अनुमति नहीं है, को चुनौती दिए बिना इस प्रकार के सभा का आयोजन नहीं कर सकती है।

 

जिसके बाद राघवचेरी ने कहा कि रैली की अनुमति को लेकर सरकार को प्रतिनिधित्व भेजा गया था और यदि सरकार जीओ का हवाला देते हुए प्रतिनिधित्व को रद्द कर देती तो जीओ के खिलाफ चुनौती की गई होती। लेकिन संबंधित अधिकारी इस ओर अब तक किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिए हैं। उन्होंने कहा प्रस्तावित यात्रा वाहन से होगी और इस दौरान किसी प्रकार का भीड़ भाड़ नहीं होगा। इस पर स्वीकृति देने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इस तरह के मौखिक प्रस्तुतिकरण पर भरोसा नहीं कर सकती हैं। रैली को अनुमति देने के लिए राज्य सरकार उचित निर्णय दे सकता है। अगर इस तरह के आदेश से किसी भी पक्ष की याचिकाएं खारिज हो जाती हैं तो वे अदालत में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है। इस प्रकार से कोर्ट ने दलिलो का निपटारा किया।

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