सरकार का तर्क
यह मामला मद्रास हाई कोर्ट के जज एम दंडपाणि के सामने सुनवाई के लिए आया। उस समय सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल जे. रवींद्रन और सरकारी चिकित्सक संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा कि सरकारी चिकित्सकों की तैनाती सरकारी अस्पतालों, ग्रामीण, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में होती है जिससे आम जनता को लाभ होता है। लिहाजा उनको प्रोत्साहन अंक दिए जाना उपयुक्त है। इसलिए, इस मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
याचिका खारिज
न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि ग्रामीण अस्पतालों में काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों को मेडिकल स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत आरक्षण और प्रोत्साहन अंक की दोनों रियायतें देने पर कोई रोक नहीं है। लिहाजा यह याचिका खारिज की जाती है। साथ ही सरकारी चिकित्सकों पर सामान्य कोटे से दाखिले पर भी कोई रोक नहीं है।