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ग्रामीण क्षेत्र में सेवारत सरकारी चिकित्सकों को पीजी में 50% आरक्षण व प्रोत्साहन अंक पर रोक नहीं : हाईकोर्ट

locationचेन्नईPublished: Jan 19, 2022 09:50:02 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

 
सरकारी चिकित्सकों की तैनाती सरकारी अस्पतालों, ग्रामीण, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में होती है जिससे आम जनता को लाभ होता है। लिहाजा उनको प्रोत्साहन अंक दिए जाना उपयुक्त है।

madras high court

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चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी डॉक्टरों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत आरक्षण और 30 प्रतिशत प्रोत्साहन अंक देने पर कोई रोक नहीं है।


गैर-सरकारी चिकित्सक संघ की ओर से चेन्नई उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में कहा गया,”अक्टूबर 2021 में, सरकार ने आदेश जारी किया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों को एमडी, एमएस, स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में 50 प्रतिशत आरक्षण और 30 प्रतिशत प्रोत्साहन अंक दिया जाएगा। पूरे तमिलनाडु में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 1,968 सीट हैं। इसमें से 50 फीसदी ऑल इंडिया कोटे के लिए समर्पित हैं। शेष 969 सीटों में 50 फीसदी सरकारी डॉक्टरों के लिए आरक्षित कर दी गई है। अतिरिक्त प्रोत्साहन अंकों की वजह से शेष पचास प्रतिशत सीटें भी सरकारी चिकित्सकों को ही जाने की संभावना है। इस प्रकार निजी अस्पताल में शिक्षित चिकित्सक पीजी शिक्षण के लिए वंचित हो जाएंगे। इसलिए सरकार को सरकारी चिकित्सकों को उक्त दोनों में से एक रियायत ही देनी चाहिए।

सरकार का तर्क
यह मामला मद्रास हाई कोर्ट के जज एम दंडपाणि के सामने सुनवाई के लिए आया। उस समय सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल जे. रवींद्रन और सरकारी चिकित्सक संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा कि सरकारी चिकित्सकों की तैनाती सरकारी अस्पतालों, ग्रामीण, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में होती है जिससे आम जनता को लाभ होता है। लिहाजा उनको प्रोत्साहन अंक दिए जाना उपयुक्त है। इसलिए, इस मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए।

याचिका खारिज
न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि ग्रामीण अस्पतालों में काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों को मेडिकल स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत आरक्षण और प्रोत्साहन अंक की दोनों रियायतें देने पर कोई रोक नहीं है। लिहाजा यह याचिका खारिज की जाती है। साथ ही सरकारी चिकित्सकों पर सामान्य कोटे से दाखिले पर भी कोई रोक नहीं है।
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