एचआरसीई मंत्री पीके शेखर बाबू ने इस बात से भी इंकार कर दिया कि अर्चकों के नए बैच की नियुक्ति करते समय ब्राह्मण पुजारियों, विशेषरूप से अर्चकों और भट्टाचार्यों को निशाना बनाया गया था।
उन्होंने कहा अर्चक के रूप में नियुक्त किए गए सभी 58 लोग विधिवत योग्य हैं और संविधान का कोई उल्लंघन नहीं है, जैसा कि पुजारियों के एक वर्ग द्वारा आरोप लगाया जा रहा है।
मौजूदा ब्राह्मण पुजारियों के एक वर्ग द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया करते हुए मंत्री ने कहा कुछ हिंदुत्ववादी ताकत, जो नहीं चाहतीं कि दूसरे आगे आए, शरारती अभियान चला कर इसका विरोध कर रही हैं।
शेखर बाबू ने कहा कि आगम शास्त्रों में प्रशिक्षित हुए और 35 साल से कम उम्र के लोगों को ही अर्चक के रूप में नियुक्त किया गया है। पूर्व सीएम एम. करुणानिधि चाहते थे कि सभी जाति के लोग पुजारी के रूप में नियुक्त हों।
करुणानिधि के विचारों को आगे बढ़ाते हुए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यदि उत्पीडऩ वर्गो के उत्थान के लिए प्रयास करना भूल है तो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उसी भुल को दोहराना चाहेंगे।
उन्होंने दावा किया कि किसी भी ब्राह्मण पुजारियों की सेवाएं समाप्त नहीं की गई हैं और ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई की जाएगी।