आत्म स्मरण और जागरण का पर्व है पर्यूषण
चेन्नईPublished: Sep 07, 2018 11:32:02 am
यह पर्व जीवन के लिए वरदान बने इसके लिए जीवन में धर्म की प्रेरणा का प्रकाश और आत्मगुणों के विकास के लिए वीतराग वाणी का श्रवण करना जरूरी है। इस संसार में सत्ता, संपत्ति, सम्मान और संतान सभी को प्रिय है लेकिन तत्वदर्शियों ने गहन चिंतन करके इन सभी को नश्वर मानकर धर्म को ही सर्वोपरि माना।
आत्म स्मरण और जागरण का पर्व है पर्यूषण
चेन्नई. यहा गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने पर्वाधिराज पर्यूषण की शुरुआत पर कहा हमारा यह सौभाग्य है कि हमें पर्व प्रधान देश की संस्कृति में जन्म लेने का अवसर मिला है। पर्व पावनता के प्रतीक होते हैं। पर्यूषण पर्व एक लोकोत्तर पर्व है जिसका सन्देश और उद्देश्य आत्मा का शुद्धिकरण है। ये पर्व आत्म स्मरण और आत्म जागरण की पावन वेला है। इन ८ दिनों में अपनी आत्मा का हित चाहने वाले को देह के धरातल से ऊपर उठकर चेतन के धरातल पर जीने का पुरुषार्थ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लोकोत्तर पर्व को रीति रिवाज के तौर पर नहीं हार्दिकता से मनाना चाहिए। यह पर्व जीवन के लिए वरदान बने इसके लिए जीवन में धर्म की प्रेरणा का प्रकाश और आत्मगुणों के विकास के लिए वीतराग वाणी का श्रवण करना जरूरी है। इस संसार में सत्ता, संपत्ति, सम्मान और संतान सभी को प्रिय है लेकिन तत्वदर्शियों ने गहन चिंतन करके इन सभी को नश्वर मानकर धर्म को ही सर्वोपरि माना। जिसने धर्म को छोड़ा उसका सब कुछ नष्ट होकर स्वयं भी नष्ट हो गया और जिसने धर्म की सुरक्षा की उसी का सब कुछ सुरक्षित रहा। देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धालु के जीवन में कदम कदम पर चमत्कार होते हैं। व्यक्ति को ऐसे निमित्त और संयोगों से बचना चाहिए जो उसकी श्रद्धा को क्षति पहुंचाते हों। प्रवचन से पूर्व मुनि ने अन्तगड़ सूत्र का वाचन किया।। यह पर्व जीवन के लिए वरदान बने इसके लिए जीवन में धर्म की प्रेरणा का प्रकाश और आत्मगुणों के विकास के लिए वीतराग वाणी का श्रवण करना जरूरी है। इस संसार में सत्ता, संपत्ति, सम्मान और संतान सभी को प्रिय है लेकिन तत्वदर्शियों ने गहन चिंतन करके इन सभी को नश्वर मानकर धर्म को ही सर्वोपरि माना। इस मौके पर कोडमबाक्कम के पदमचंद रांका ने 24 उपवास का संकल्प किया। संचालन संघमंत्री राजकुमार कोठारी ने किया।