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कोरोना ने बदल दिया दफ्तरों का तौर-तरीका

locationचेन्नईPublished: Sep 14, 2020 08:25:42 pm

– काम करने की कार्यशैली भी बदली – कुर्सियों के बीच बढ़ा फासला

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चेन्नई. कोरोना के चलते हमारी जीवन शैली में तो बदलाव दृष्टिगोचर हुआ ही, दफ्तरों पर भी असर देखने को मिला। कोरोना के कारण दफ्तरों का रंग-ढंग बदल चुका है। अधिकांश लोगों को वर्क फ्राम होम के चलते दफ्तरों में इन दिनों कई कुर्सियां खाली ही नजर आती है। तो कई दफ्तरों में दो कुर्सियों के बीच की दूरी बढ़ चुकी है। यानी हर चीज में फासला बढ़ गया है। हालांकि अब कोरोना के चलते दफ्तर पहले की तुलना में अधिक साफ-सुधरे नजर आने लगे हैं। दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी भी स्वच्छता पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। हर चीज करीने से सजाकर रखी जा रही है। फाइल अभी पलक झपकते मिलने लगी है। बल्कि अधिकांश दफ्तर तो ऑनलाइन मोड में आ गए हैं या आने शुरू हो गए हैं। कई दुकान व प्रतिष्ठानों में तो अन्दर तक प्रवेश की मनाही कर दी गई है और मुख्य दरवाजे पर ही रस्सी या बल्लियों से रास्ता रोक दिया गया है। ग्राहकों को मुख्य गेट के पास से ही सामान बेचा जा रहा है।
कर्मचारियों को हाईटेक दिशा में मोड़ा जा रहा
दफ्तरों के कर्मचारियों को हाईटेक दिशा में मोड़ा जा रहा है। उन्हेंं जूम, गुगल मीट की ट्रेनिंग दी जा रही है। दफ्तरों में हर रोज होने वाली मीटिंग ने वर्चुअल रूप ले लिया है। इससे सामाजिक मेलजोल पर असर तो पड़ा है लेकिन कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए यह जरूरी भी समझा जा रहा है। अब दफ्तरों में हंसी-मजाक व गप्पे हांकने वाले कम दिखाई देने लगे हैं। एक तरह से अधिकांश जगह वीरान सा माहौल नजर आने लगा है। इसका सुखद पहलु यह भी हुआ है कि कर्मचारियों में काम के प्रति समर्पण यकायक बढ़ा है। उनके काम की गति बढ़ी है। मानव श्रम भी पहले से अधिक लगने लगा है।
बड़े दफ्तर छोटे में हो रहे तब्दील
वर्क फ्राम होम के कल्चर के चलते कई बड़े दफ्तर छोटे दफ्तरों में तब्दील होते जा रहे हैं। ऐसे में कई बहुमंजिली इमारतों में इन दिनों जगह खाली पड़ी है। सरकारी दफ्तरों की बात की जाएं तो कई दफ्तरों में फाइलों पर डस्ट की परतें जमा होती जाती है लेकिन उनकी धूल हटाने वाला कोई नहीं होता। ऐसी फाइलों को भी इन दिनों खंगालने का वक्त मिल गया है। बल्कि अब इनका डिजिटलीकरण किए जाने की योजना पर मंथन होने लगा है। हालांकि कई सरकारी दफ्तरों में कामचोर बाबुओं को डिजिटलीकरण रास कम आ रहा है। सरकारी दफ्तरों के कामकाज डिजिटल होने के चलते बाबूओं की चिंता बढ़ गई है। कइयों का तो सेवानिवृत्ति का समय नजदीक है और उनके लिए अब कम्प्यूटर स्क्रीन पर आंखें गढ़ाए रख पाना काफी मुश्किल कदम साबित हो रहा है।
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कार्यपद्धति में आया है बहुत बदलाव
कोरोना ने हर क्षेत्र में अपना असर दिखाया है। अब दुकान, प्रतिष्ठान व दफ्तरों की कार्यपद्धति काफी बदल गई है। हर कोई मास्क लगाकर ही रहता है। आगन्तुक भी बिना मास्क के नहीं आ सकते। सोशल डिस्टेंस की पालना भी जरूरी हो गई है। बकायदा कई प्रतिष्ठानों ने अपने गेट पर ही इन नियमों की पालना के लिए पेपर चस्पा किए हैं। इसके साथ ही गेट पर सेनेटाइजर रखना भी शुरू किया गया है।
– खेतसिंह रतनपुरा, रेडिमेड गारमेन्ट व्यवसायी, चेन्नई
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