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एमए-बीएड तक पढ़ी सुनीता चौधरी की पढ़ाई कोरोना काल में बन गई वरदान

locationचेन्नईPublished: Nov 08, 2020 10:14:29 pm

ऑनलाइन पढ़ाई में मम्मी बन गई टीचर – मौजूदा समय में स्कूल खुलने पर अधिकांश अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं – बच्चों की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हैं अभिभावक – राजस्थान पत्रिका का वर्चुअल टॉक-शो

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Sunita choudhary with her son Yogesh choudhary and daughter Manisha choudhary.

चेन्नई. महानगर के मन्दवली इलाके में रहने वाले सेन्ट जोन्स स्कूल में ग्यारहवीं के छात्र योगेश चौधरी व पांचवी में पढ़ने वाली मनीषा चौधरी भी इन दिनों स्कूल बन्द होने के कारण अन्य बच्चों की तरह घर पर रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में योगेश व मनीषा की मां सुनीता चौधरी पर दोहरा दायित्व आ गया है। सुनीता चौधरी गृहिणी है लेकिन एमए (हिन्दी साहित्य) के साथ ही बीएड तक की पढ़ाई की है। यह पढ़ाई इन दिनों लॉकडाउन के दौरान उनके लिए वरदान बन गई। वे बच्चों को अब ऑनलाइन पढ़ाने में पूरी मदद कर रही है। सुनीता चौधरी की तरह ही पिछले आठ महीने से कई घरों में बच्चों की मां दोहरा दायित्व निभा रही है। वे मां के साथ-साथ टीचर की भूमिका अदा कर रही है। कोरोना महामारी के चलते इन दिनों स्कूलें बन्द है और बच्चे घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों की मां को घर के काम के साथ ही बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा भी आ गया है। अब उनकी दिनचर्या भी कुछ इसी तरह से ढल गई है। राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित वर्चुअल टॉक-शो में अभिभावकों ने बताया कि इन दिनों घर की महिलाएं चूल्हे-चौक से निवृत्त होने के बाद बच्चों को पढ़ाने में समय गुजार रही है। पिछले दिनों एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2020 में भी इस बात का खुलासा हुआ कि पहली एवं दूसरी कक्षा के 33 फीसदी छात्रों की पढाई तो मम्मी ने ही करवाई। जबकि नौंवी से बारहवीं के 15 फीसदी छात्रों की पढ़ाई कराने में भी मम्मी का योगदान रहा।
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नब्बे फीसदी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं
अभी भी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। अभिभावक-शिक्षक मीटिंग मे भी अभिभावकों की रूचि नहीं दिखाई दी है। ऐसे में वर्चुअल मीटिंग की गई। जिसमें अभिभावकों का कहना था कि यदि वे बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो उनके सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा। क्योंकि कोरोना का कहर अब भी कम नहीं हुआ है। ऐसे में अभिभावकों का कहना था कि वे अभी बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते और ऑनलाइन पढ़ाई ही बेहतर विकल्प है। अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन को यह लिखकर दिया है कि मौजूदा हालात में वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं।
– अशोक केडिया, प्रबंध न्यासी, जयगोपाल गरोडिया विवेकानन्द विद्यालय, चेन्नई।
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प्रशासन अनुमति दे तो स्कूल खोलने के लिए तैयार
लॉकडाउन के दौरान स्कूल प्रबंधन ने शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों की जरूरत के हिसाब से ऑनलाइन पढ़ाई कराने में मदद की। जो विद्यार्थी ऑनलाइन लाइव कक्षा में उपस्थित नहीं रह पाए उनके लिए रिकॉर्डेड वीडियो की व्यवस्था की गई। अभिभावकों से बात कर और बच्चों के अनुकूल समय का चयन कर पढ़ाई जारी रखी गई। यदि सरकार स्कूल खोलने के लिए आदेश जारी करती है तो स्कूल की तरफ से सभी व्यवस्था की गई है और स्कूल खोलने के लिए प्रबंधन पूरी तरह से तैयार है। हालांकि अभिभावक अब भी कोरोना को लेकर भयभीत है और वे बच्चों के स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। मैनेजमेन्ट की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि यदि अभी स्कूल खुलते हैं तो विद्यार्थियों को अलग-अलग बैच में बुलाया जाएगा। स्कूल को पूरी तरह से सेनेटाइज किया गया है। विद्यार्थियों के लिए मास्क एवं अन्य आवश्यक उपाय किए गए हैं।
– एडवोकेट एस. महावीर बोहरा, करस्पोन्डेन्ट व सचिव, गणेश बाई गेलड़ा गर्ल्स हायर सैकण्डरी स्कूल, साहुकारपेट, चेन्नई।
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कई बार नेटवर्क की समस्या
कई जगह नेटवर्क बराबर नहीं आने से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा पहुंच रही है। जहां तक बच्चों को स्कूल भेजने की बात है तो अधिकांश अभिभावक बच्चों को स्कूल तभी भेजने के इच्छुक हैं जब कोरोना वैक्सीन तैयार होकर आ जाएगी। स्कूलों में बच्चों की अधिकता होने के चलते संक्रमण का डर अभिभावकों में अब भी बना हुआ है। छोटे बच्चों का खेलने में अधिक ध्यान रहता है। जिन घरों में अभिभावक थोड़े पढ़े लिखे हैं वहां जरूर बच्चों को घर पर पढ़ने में भी अध्ययन में सहारा मिल जाता है।
– ईश्वर सारण नागड़ी, अभिभावक, मन्दवेली, चेन्नई।
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गाइडलाइन की पालना स्कूलों के लिए आसान नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो गाइडलाइन जारी की है उसकी पालना करना स्कूलों के लिए आसान नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है यदि कोई बच्चा स्कूल में संक्रमित हो जाता है तो वह घर-परिवार के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित कर सकता है। यही वजह है कि अभिभावक अभी पूरी तरह से बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर संतुष्ट व आश्वस्त नहीं है। हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई से अभिभावकों पर बोझ बढ़ा है। इंटरनेट व रिचार्ज के खर्चे में इजाफा हुआ है। उधर स्कूलों के खर्च बच रहे हैं।
– गणपतसिंह राठौड़ राखी, अभिभावक, चेन्नई।
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बड़ी कक्षा के बच्चों के लिए खुलें स्कूल
बड़ी कक्षा के लिए स्कूल को खोल देना चाहिए। अब जबकि सिनेमा, रेल, बस सब खुल चुके हैं तो स्कूल व कॉलेज खोलने को लेकर किसी तरह की पाबंदी नहीं रहनी चाहिए। ऑनलाइन पढाई हरेक के लिए संभव भी नहीं है। अभिभावकों को मजबूरन बच्चों को मोबाइल फोन दिलाने पड़े हैं। जबकि हकीकत यह है कि मोबाइल फोन में पढ़ाई से अधिक बच्चों के लिए खेल खेलने में व्यस्त रहने लगे हैं। हालांकि छोटे बच्चों के लिए स्कूल अभी नहीं खोली जानी चाहिए।
मोहनलाल गोदारा विश्नोई, अभिभावक, चेन्नई।
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अभी कम नहीं हुआ कोरोना का कहर
जब तक कोरोना का प्रभाव कम नहीं हो जाता है तब तक स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए। क्योंकि स्कूल खुलने पर संक्रमण का खतरा भी अधिक रहेगा। ऐसे में जब तक कोरोना को लेकर कोई वैक्सीन नहीं आ जाती जब तक ऑनलाइन पढ़ाई को ही जारी रखा जाना चाहिए। ऑनलाइन अध्ययन को ही और अधिक प्रभावी बनाए जाने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं।
– चम्पालाल प्रजापत, अभिभावक, चेन्नई।
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