यही नहीं, इन वाटर ड्रेनेजे में अनेक ड्रेनेज तो ऐसी हैं जिनका पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे इनमें हमेशा गंदा पानी भरा रहता है और उससे निकलने वाली बदबू राहगीरों को परेशान करती रहती है।
इसमें इनका निर्माण करने वाले ठेकेदारों की कोई गलती नहीं है, गलती उन विभागीय अधिकारियों की है जिन्होंने इनके काम को पूरा होने तक जाकर देखा ही नहीं और ठेकेदार ने बीच मंझधार छोडक़र ही काम की इतिश्री कर ली और पैसा पूरा उठा लिया। विडम्बना यह है कि वर्तमान में चल रहा ड्रेनेज निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा है लेकिन मार्गो पर यह काम पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वह भी राहगीरों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
बतादें, ईवीआर पेरियार सालै पर भी उन प्रमुख मार्गों में से एक है जहां ड्रेनेज का निर्माण कार्य वर्षों पहले शुरू हुआ था लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसी प्रकार नेहरू पार्क से लेकर राजीव गांधी सरकारी अस्पताल तक कई जगह जहां मेनहोल खुले पड़े हैं तो कई जगह मेनहोलों को ढंका ही नहीं गया है जबकि इस रोड से प्रतिदिन लाखों लोग आवाजाही करते हैं। राहगीरों का कहना है कि महानगर के मार्गों पर जगह-जगह मेनहोल और ड्रेनेज नहीं ढंके जाने के कारण लोग फुटपाथ का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जान जोखिम में डालकर सडक़ों पर चलने को मजबूर है।
बिना प्रतिनिधि समस्या का निदान नहीं
एक समाजसेवी रविचंद्रन के अनुसार पिछले चार सालों से निकाय चुनाव नहीं हुआ है। किसी भी जोन व वार्ड की समस्या महानगर निगम के प्रतिनिधि ही बेहतर समझते हैं क्योंकि उनका आमजन से संवाद होता रहता है लेकिन मौजूदा सरकार ने कभी भी जन आंकक्षा को तरजीह नहीं दी। यही कारण है कि महानगर की देखरेख अधिकारियों के ऊपर ही छोड़ दी है। वे अपने कार्यालय में बैठकर सडक़ और गलियों की समस्याएं हल नहीं कर सकते।
बहरहाल महानगर में कई प्रमुख मार्ग हैं जिन पर यह समस्या है जिसे महानगर निगम कार्यालय के माध्यम से ही किया जा रहा है। ऐसे में ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
कॉर्पोरेशन और ठेकेदारों की सांठगाठ
डीएमके कार्यकर्ता सी. पालमती ने आरोप लगाया कि महानगर में ड्रेेनेज निर्माण में सरकार के मंत्रियों और ठेकेदारों समेत कॉर्पोरेशन अधिकारियों के बीच सांठगांठ है, इसी का परिणाम है कि कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को ही प्रोजेक्ट का आवंटन किया जाता है। इसमें उनके निर्माण कार्य की गुणवता पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता जिससे वे जैसा चाहे काम करके इतिश्री कर देते हैं और बिल पास करवाकर पैसा वसूल कर लेते हैं। इसका परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है। एक अन्य परेशानी यह भी है इनकी काम की ढिलाई के कारण राहगीरों को जान जोखिम में डालकर मेन रोड से गुजरना पड़ता है। गौर से देखा जाए तो किसी प्रोजेक्ट पर कोई बोर्ड नजर नहीं आता, इससे साफ पता चलता है कि सरकार विकास के नाम पर सिर्फ बंदरबांट कर रही है और जनता त्राहिमाम।
केस-वन
आनंदन गुरुवार रात को दास प्रकाश बस स्टॉप पर उतरकर वहां के फुटपाथ से गुजर रहा है जहां उसका पैर मेनहोल के ढक्कन पर पड़ता है, लेकिन ढक्कन बंद नहीं होने के कारण वह फिसलकर मेनहोल मे गिरकर चोटिल हो जाता है। उसे बस स्टॉप पर खड़े यात्री मुश्किल से बाहर निकालते है।
केस-टू
तिरुनीलकंठन राजा अण्णामलै रोड से एगमोर की तरफ जा रहा है इसी दौरान बगल से गुजर रही एक बाइक से उसकी टक्कर हो जाती है जिससे वह फिसलकर वहां महीनेभर से खुली पड़ी ड्रेनेज में गिरकर जाता है। इससे वह आंशिक रूप से घायल हो जाता है।