चेन्नई

भारत की आधी शहरी आबादी को है सिरदर्द!

– दर्द निवारक लेकर खुद ही बन जाते हैं डॉक्टर
– 34 शहरों में हुए सर्वे की रिपोर्ट

चेन्नईJun 04, 2021 / 08:13 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

mp private hospitals corona treatment fees very expensive, HC strict

चेन्नई. देश की आधी शहरी आबादी सिरदर्द से जूझ रही है। सिरदर्द का इलाज भी उसे खुद ही करना पसंद है। वह दर्द निवारक बाम के बजाय उपचार के लिए ओटीसी (ओवर दी काउंटर) दवाओं के भरोसे है जिसके लिए डॉक्टरी पर्ची की जरूरत नहीं पड़ती। इप्सोस का देशभर के ३४ शहरों के उपभोक्ताओं पर किया गया स्वास्थ्य सर्वे इशारा करता है कि शहरी जीवन कितना उलझन भरा है और दिमाग पर कितना हावी हो चुका है?

देश के चार जोन के शहरी इलाकों जिनमें महानगरों के अलावा जयपुर, भोपाल, पटना, गुवाहाटी, कोच्चि, अहमदाबाद आदि शामिल है, से जुड़े इस सर्वे में १५१३३ परिवारों पर अध्ययन किया गया। इनमेें बुखार, बदन दर्द, खांसी, जुकाम और नाक बंद होने जैसी समस्याएं प्रमुख थी। बदन तपने पर ही शहरी लोग डॉक्टर के पास जाना पसंद करते हैं। जबकि सिरदर्द, कफ, सर्दी-जुकाम आदि का इलाज उनका दवा विक्रेता ही कर देता है। सिरदर्द में झंडू बाम तो गैस को दूर करने में ७० प्रतिशत लोगों की पहली पसंद ईनो थी। सर्वे में लोगों में ५० आम बीमारियां सामने आईं जिनमें बाल झडऩे, नींद नहीं आने और बदहजमी भी शामिल है।

बढ़ा है सेल्फ मेडिकेशन
लोगों में खुद का उपचार (सेल्फ मेडिकेशन) की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसकी वजह समय की कमी, साक्षरता का बढ़ता स्तर और डॉक्टरों की ऊंची फीस है। कॉस्मोस्यूटिकल्स, हेल्थ सप्लीमेंट्स और वीयरेबल उपकरणों की उपलब्धता का भी इस पर प्रभाव पड़ा है। फार्मा कंपनियां भी खुद अपने उत्पादों को डॉक्टरों के बजाय सीधे ओटीसी मंच पर लाने लगी है।
मोनिका गंगवानी, इप्सोस हेल्थकेयर की कंट्री सर्विस लाइन लीडर

Home / Chennai / भारत की आधी शहरी आबादी को है सिरदर्द!

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.