आरपीएफ की सक्रिय भूमिका से बचे बच्चे
आरपीएफ के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त बीरेंद्र कुमार ने बताया कि आरपीएफ यात्रियों की यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए उनकी सहायता करती रहती है। शिकायत निवारण यात्रियों के छूटे हुए सामान की वसूली और सुरक्षा संबंधी कॉल कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें आरपीएफ सक्रिय भूमिका निभाती है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में 4385 बच्चों को बचाकर परिवार से मिलाया। वर्ष 2018 में 1603, 2019 में 2151 और 2020 में 631 बच्चे बचाए गए।
खोया सामान मालिकों को लौटाया
बीरेंद्र कुमार ने बताया कि दक्षिण रेलवे के आरपीएफ जवानों ने वर्ष 2019 व 2020 में ट्रेनों अथवा स्टेशनों पर यात्रियों के 4.33 करोड़ रुपए तक का 3171 सामान बरामद कर उनके मालिकों तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 2,97,60,170 रुपए कीमती 2423 सामान जबकि 2020 में 1,35,45,086 रुपए कीमती 748 सामान बरामद कर उनके मालिकों को लौटाया गया।
महिला आरपीएफ की भूमिका अहम
आरपीएफ में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल करने से महिला सुरक्षा में सुधार के लिए भारतीय रेलवे के प्रयासों को बल मिला है। रेलवे में महिलाओं की भूमिका अहम है, जिससे महिला सुरक्षा में सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि दक्षिण रेलवे आरपीएफ के कुल क्षमता का 12.80 प्रतिशत महिला आरपीएफ है। दक्षिण रेलवे में आरपीएफ कर्मियों की कुल क्षमता 3920 है जिसमें 502 महिला आरपीएफ है।
सुरक्षा के साथ तकनीक पर भी जोर
रेल यात्रियों और रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने आधुनिक तकनीक के उपयोग पर बल दिया है। दक्षिण रेलवे अपने 14 रेलवे स्टेशनों पर इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम लागू कर चुका है जिसके तहत अब भारतीय रेल एयरपोर्ट की तर्ज पर ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है जिसमें यात्रियों को ट्रेन पकडऩे के लिए कम से कम 20 मिनट पहले रेलवे स्टेशन पर पहुंचना होगा। यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए आरपीएफ कर्मियों द्वारा बॉडी कैमरा का उपयोग होता है। अपराध पर निगरानी और यात्रियों के बचाव के लिए कोच या टे्रनों में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है।