जिन लोगों ने करोड़ों का खर्च किया उन्हें सांसद का सीट दे दिया गया, क्योंकि जो लोग पैसा लगाते हैं वे पद की लालच में ही लगाते हैं। डीएमके और एआईएडीएमके की निंदा करते हुए उन्होंने दोनों पार्टियों को स्थानीय निकाय चुनाव में भ्रष्ट मुक्त व्यक्ति को पार्टी का उम्मीदवार बनाने की चुनौती दी। उन्होंने कहा पैसे को महत्व देते हुए विचारधारा और ईमानदान दृष्टिकोण वाले लोगों को पीछे किया जा रहा है। जिस पार्टी में लोकतंत्र ही ना हो उसमें बने रहने का कोई मतलब नहीं निकलता है। पार्टी भ्रष्ट अभ्यास को अपनाते हुए भ्रष्ट नेताओं को महत्व दे रही है। जिसके लिए मैने पार्टी को छोडऩे का तय किया।
–हिन्दू वोटों को मजबूत करने के उद्देश्य से
करुप्पैया ने कहा कि हिन्दू वोटों को मजबूत करने के उद्देश्य से भाजपा द्वारा हिन्दुत्व का प्रसार किया जा रहा है। संविधान के अनुच्छेद 370 खत्म कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना, नागरिकता (संशोधन) विधेयक और नागरिकता की राष्ट्रीय रजिस्ट्री (एनसीआर) समेत अन्य लंबी योजनाओं की ओर अग्रसर होकर भाजपा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है, लेकिन डीएमके खुद को सिर्फ बयान जारी करने तक ही सीमित कर द्रविड़ विचारधारा का प्रचार करने में भी विफल हो रही है। अगर डीएमके का यह रवैया जारी रहा तो राज्य जल्द ही अपनी पहचान खो देगा। केंद्र को तमिलनाडु का विभाजन करने में समय भी नहीं लगेगा। इतना कुछ होने के बाद भी डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन विज्ञप्ति और परिपत्र जारी करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं।
-सुपरस्टार रजनीकांत
सुपरस्टार रजनीकांत की संभावित राजनीति प्रवेश की ओर इशारा करते हुए करुप्पैया ने कहा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन पार्टी की घोषणा के पांच साल बाद राजनीति में शामिल हुए थे। उसी प्रकार से रजनीकांत को भी बाहर आकर अपनी विचारधारा और लोगों से संबंधित मुद्दो पर चर्चा करना चाहिए। वे नान स्टार्ट बस की तरह हैं। बिना रास्ता और जगह जाने कोई भी यात्री कैसे किसी बस में बैठेगा। ऐसे में सबसे पहले रजनीकांत को अपने विचारधारा का प्रचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मक्कल नीदि मय्यम के संस्थापक अध्यक्ष कमल हासन के राजनीतिक प्रवेश का राज्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने धर्मपुरी बस फुंकने वाले मामले के तीन आरोपियों को रिहा करने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार की निंदा की।
उन्होंने कहा कि तीन मासूम युवतियों की हत्या के बाद भी पार्टी के वफादारी की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया। उन लोगों को रिहा करने के दौरान डीएमके और अन्य नेताओं ने क्या किया? उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक रूप से कुछ मंत्रियों के व्यवहार की निंदा करने के बाद एआईएडीएमके से बाहर किए जाने के बाद करुप्पैय जुलाई २०१६ में डीएमके में शामिल हुए थे।