तिरुचेंदूर से अन्नाद्रमुक नेता राम कुमार आदिथन ने अन्नाद्रमुक महासचिव जयललिता के निधन के बाद 12 सितंबर, 2017 को आयोजित पार्टी महासभा में महासचिव के पद को भंग कर समन्वयक और सह समन्वयक के दो नए पद सृजित करने तथा इनको चुनाव आयोग द्वारा मान्यता देने पर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याची का कहना था कि महापरिषद के पास ऐसा पद सृजित करने का कोई अधिकार नहीं है।
लिहाजा जयललिता की मृत्यु पूर्व की स्थिति को बहाल किया जाना चाहिए। साथ ही इन पदों व संशोधनों की स्वीकारोक्ति वाले चुनाव आयोग के 4 मई 2018 को जारी आदेश को रद्द किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति आदिकेशवलु की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की और कहा कि चुनाव आयोग का पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा पारित प्रस्ताव को स्वीकार करना अवैध नहीं है। साथ ही आयोग के पास यह देखना का अधिकार भी नहीं है कि इसमें पार्टी के आंतरिक संविधान की पालना हुई है अथवा नहीं? हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि चुनाव आयोग पार्टी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इस मामले में दीवानी मुकदमा दायर किया जा सकता है।