वर्ष १९३७ और १९६५ में तमिलनाडु में हुए हिन्दी विरोध प्रदर्शन को याद करते हुए स्टालिन ने कहा राज्य में हिन्दी थोपने की कोशिश को रोकने के लिए सिर्फ डीएमके ही प्रदर्शन को आगे ले जा सकती है।
किसी भाषा का विरोध नहीं करता
उन्होंने कहा कि वे किसी भाषा के विरोध में नहीं है, लेकिन किसी अन्य भाषा को तमिलों पर थोपने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। गत १४ सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जो बयान दिया था उससे साफ पता चलता है कि हिन्दी नहीं बोलने वाले लोगों को द्वितीय श्रेयी के नागरिक के तौर पर देखा जा रहा है।