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पाप क्षय कर आत्मकल्याण करने का समय है पर्यूषण पर्व

locationचेन्नईPublished: Sep 07, 2018 11:49:12 am

Submitted by:

Ritesh Ranjan

जो विश्व को निर्मल बनाकर जगत का दु:ख दूर करने में हिमालय के समान अटल, अविचल है, जो जीवन, तन, मन और आत्मा को तीर्थ बनाता है ऐसा है जैन धर्म। तीर्थंकर परमात्मा जैसे देव कोई नहीं जो सबका कल्याण करते हैं।

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पाप क्षय कर आत्मकल्याण करने का समय है पर्यूषण पर्व

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन इस पर्व की महिमा बताते हुए कहा पर्यूषण पर्वों का सिरमोर है। सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो चुके परमात्मा तीर्थंकर भगवन्त जो स्वयं तीर्थ हैं वे भी स्वयं को पर्यूषण की आराधना करने से रोक नहीं सकते। उनका मन, रोम-रोम इस पर्व की आराधना करता है। संवत्सरी पर्व का कोई विकल्प नहीं है।
जो विश्व को निर्मल बनाकर जगत का दु:ख दूर करने में हिमालय के समान अटल, अविचल है, जो जीवन, तन, मन और आत्मा को तीर्थ बनाता है ऐसा है जैन धर्म। तीर्थंकर परमात्मा जैसे देव कोई नहीं जो सबका कल्याण करते हैं। संसार के प्रत्येक जीव चाहे नारकी हो, देव हो या तिर्यंच हो, सभी को अपनी संतानें मानकर वात्सल्य भाव रखते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी संतान भी उनके जैसे शुद्ध, बुद्ध और मुक्त बने, परमात्मा बन जाए।भगवान महावीर ने विश्व के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए २५ जन्मों तक साधना की, स्वयं को तप में तपाया तो स्वयं के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए।
आप सभी का यह सौभाग्य है कि जिनशासन में जन्म और कुल मिला। यह पूर्व पुण्यों से मिला है तो इसका सदुपयोग करें और अपनी आत्मा के भव-बंधनों को तप और धर्माराधना से नष्ट कर आत्मकल्याण के लिए प्रशस्त हो। तीर्थंकर परमात्मा ने हमें जो मार्ग और उजाला दिया है, उससे स्वयं के साथ दूसरों को भी प्रेरणा दें, परमात्मा की यही भावना है कि हर जीव सिद्ध बने, मंजिल पर पहुंचे, कोई भटके नहीं। समय रहते जिनशासन से जुड़ जाएं नहीं तो दु:शासन बनते देर नहीं लगेगी।
साधुओं की १२ और श्रावकों की ११ प्रतिज्ञाओं के बारे में बताया कि हमें अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए।
जैन धर्म के सूक्ष्म विज्ञान में परमात्मा ने जिसे सजीव और मांसाहार की बताया है उसी प्रक्रिया से पदार्थ बनाकर लोगों को धर्मच्युत करने और भटकाने वाले झूठ का प्रचार किया जा रहा है जिसका समर्थन उच्च राजनीति में बैठे लोगों द्वारा किया जा रहा है। पर्यूषण पर्व पर हमें संकल्प लेना है कि इस आने वाले कुचक्र से सावधान रहते हुए अपनी भावी पीढ़ी को भी पूर्ण रूप से सजग बनाने और जैन धर्म का सूक्ष्म ज्ञान-विज्ञान से रूबरू कराने की जरूरत है।
तीर्थेशऋषि ने अंतगड़ सूत्र वाचन करते हुए बताया कि परमात्मा कहते हैं शुभ भावों के जन्मते ही उनका पालन शुरू कर देना चाहिए नहीं तो उनका कब उदय तो पता नहीं।
धर्मसभा में चातुर्मास समिति के चेयरमैन नवरतनमल चोरडिय़ा, अध्यक्ष अभयकुमार श्रीश्रीमाल, कार्याध्यक्ष पदमचंद तालेड़ा, महामंत्री अजीत चोरडिय़ा, कोषाध्यक्ष जेठमल चोरडिय़ा, सहित एएमकेएम ट्रस्ट के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
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