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पोंगल पर घर जाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर उमड़े यात्री

locationचेन्नईPublished: Jan 14, 2018 10:33:08 pm

राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पर्व पोंगल पर घर जाने एवं अपनों के बीच इस त्यौहार को मनाने की बेताबी इन दिनों चेन्नई में रहने वाले राज्य के अन्य जिलों के लोग

Passengers traveling on railway stations to go home on Pongal

Passengers traveling on railway stations to go home on Pongal

चेन्नई।राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पर्व पोंगल पर घर जाने एवं अपनों के बीच इस त्यौहार को मनाने की बेताबी इन दिनों चेन्नई में रहने वाले राज्य के अन्य जिलों के लोगों में देखी जा सकती है। चेन्नई के दो बड़े रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर परिवार के साथ सामान लिए यात्रियों को अपने गृह नगर जाते देखा जा सकता है। शुक्रवार से स्कूलों में अवकाश हो गया। शनिवार से लगभग सभी निजी व सरकारी संस्थानों में अवकाश हो जाएगा। ऐसे में चेन्नई में रहने वाले लाखों की संख्या में राज्य के अन्य हिस्सों के लोग आने वाले दिनों में घर जाने की ओर रुख करेंगे।

शुक्रवार को चेन्नई एगमोर रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्रियों को घर जाने के लिए मशक्क्त करते देखा गया। रेलवे ने विशेष ट्रेनें अवश्य चलाई हैं बावजूद इसके शुक्रवार को स्टेशन परिसर में एक बोर्ड लगा हुआ था जिस पर लिखा था कि ट्रेनें फुल हो चुकी हैं। ऐसे में जिन लोगों को अपने परिवार व बच्चों के साथ घर जाना है उनकी मजबूरी को समझा जा सकता है।

तिरुनेलवेली जाने वाले सुरेश की कहानी भी ऐसी हैं। लंबे समय पहले टिकट लेने के बाद भी उनको बर्थ नहीं मिली। उनके लिए अब बसों का ही सहारा है। बसों की हड़ताल गुरुवार देर रात समाप्त हुई, इसके बाद शुक्रवार से बसों का परिचालन शुरू हुआ। इन बसों में भी उन्हें यात्री करनी पड़ेगी। उनका कहना था कि बच्चों के साथ 12 घंटे की यात्रा बिना बर्थ के नहीं कर सकते। ऐसे में दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। जो लोग अकेले हैं वे सामान्य श्रेणी की कोचों के सहारे गांव पहुंचने की जुगत लगा रहे हैं। अनारक्षित कोचों के पास बैठने के लिए यात्रियों की लंबी कतारें देखी जा सकती है।

चेन्नई एगमोर से पल्लवन एक्सप्रेस से यात्रा करने वाले मोहन ने बताया कि उनके पास कोई उपाय नहीं है इसलिए वे जनरल कोच में चढऩे के लिए कतारबद्ध हैं। यह वह वर्ग है जिसका वेतन कम है इसलिए भारी भरकम किराया नहीं वहन कर सकता।

रेलवे सुरक्षा बल के जवान इन यात्रियों को दिशा निर्देश देते हैं। दरअसल चेन्नई महानगर में बड़ी संख्या उन लोगों की है जो निजी कंपनियों एवं छोटे मोटे व्यवसाय कर अपना जीवनयापन करते हैं। इनमें से अधिकांश लोग राज्य के दक्षिणी जिलों मदुरै, तिरुनेलवेली आदि के रहने वाले हैं। फसल कटाई का पर्व यहां के लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हर हालत में घर जाना ही है। चेन्नई एगमोर रेलवे स्टेशन के अलावा चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर भी कुछ ऐसा ही नजारा है।

बैग और झोला लिए यात्रियों को स्टेशन परिसर में ट्रेनों का इंतजार करते देखा जा सकता है। यात्रियों में जद्दोजहद की स्थिति है। साधनों के अभाव में यात्रा को बदले हुए मार्ग से करने पर विचार किया है। सुब्रमण्यम कहते हैं बसों की हड़ताल ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है, वरन अब तक भीड़ कम हो गई होती। अब शुक्रवार से हड़ताल समाप्त होने के बाद स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा।

बसों के टिकट काउंटरों एवं रेलवे के टिकट काउंटरों पर भीड़ बढ़ गई है। ऐसे में ऐसे अवसर पर रेलवे एवं बस परिवहन विभाग को विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। वे कहते हैं हर साल पोंगल के मौके पर ऐसी ही स्थिति रहती है लेकिन इस बार बसों ही हड़ताल के कारण ज्यादा मारामारी है। सरकार एवं रेल प्रशासन को इस समस्या पर विचार करना चाहिए। अब घर जाना है तो कैसी भी जाएंगे ही।

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