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लॉकडाउन से गिरवी व्यापारियों को झेलना पड़ रहा नुकसान, लोगों के पास बैंक विकल्प के रूप में

locationचेन्नईPublished: May 09, 2021 09:00:52 pm

लॉकडाउन में बैंकों को खुली रखा गया है लेकिन गिरवी व्यापारी लेन-देन नहीं कर सकते

pawn broker

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चेन्नई. बार-बार हो रहे लॉकडाउन ने गिरवी व्यापारियों कमर तोड़ दी है। ऐसे में जो लोग गिरवी व्यापारियों से ऋण ले रहे थे वे बैंकों की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। लॉकडाउन में बैंकों को खुली रखा गया है लेकिन गिरवी व्यापारी लेन-देन नहीं कर सकते। पिछले लॉकडाउन से ही कई व्यापारी अभी उबर नहीं पाए है।
95 फीसदी दुकानदार राजस्थान मूल के
तमिलनाडु में कोई तीस हजार गिरवी की दुकानें हैं। कागजी कार्रवाई अधिक न होने एवं तुरन्त ऋण देने की प्रक्रिया के चलते लोग गिरवी व्यापारी से ऋण लेना मुनासिब समझते हैं। गिरवी की दुकानों से 70 फीसदी लोग छोटी ऱाशि का ऋण लेते हैं। गिरवी व्यापारी सोने एवं चांदी की ज्वैलरी पर ऋण मुहैया करवाते है। खास बात यह है कि करीब 95 फीसदी गिरवी व्यापारी राजस्थान मूल के है। राजस्थान के पाली एवं जोधपुर जिले के मूल निवासी सर्वाधिक है। गिरवी व्यापारियों को बकायदा तीन साल के लिए सरकार लाइसेंस जारी करती है और इसके बाद इसका नवीनीकरण किया जाता है।
गिरवी की दुकानों को लॉकडाउन में खुलने की छूट मिले
गिरवी व्यापारियों का कहना है कि जब बैंकिंग संस्थान एवं सोसायटी को लॉकडाउन में खुला रखा गया तो गिरवी व्यापारियों को बन्द करना कहां तक न्यायसंगत है। जबकि गिरवी की अधिकांश दुकानों में एक या दो कर्मचारी ही होते हैं। दिनभर में 10 से 12 ग्राहक आते हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंस की पालना भी आसानी से हो सकती है। जब ऋण देने वाले दूसरे संस्थान खुले हैं तो गिरवी की दुकानो को खुला रखने की छूट दी जानी चाहिए।
दक्षिण में गिरवी की दुकानें अधिक
देशभर में दक्षिण के तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश तेलंगाना एवं पुदुचेरी में अन्य राज्यों की तुलना में गिरवी की दुकानें अधिक है। गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोग गिरवी की दुकानों से ही ऋण लेना मुनासिब समझते है।
पिछले एक साल से नई दुकानें खुलना लगभग बन्द
तमिलनाडु पॉन ब्रोकर एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष स्वामी तेजानन्द महाराज कहते हैं, पिछली बार जब लॉकडाउन लगा तो अधिकांश लोगों ने ऋण के लिए बैंक व सोसायटी की तरफ रूख कर लिया। इस बार भी ऐसा ही होगा। ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद लम्बे समय तक गिरवी व्यापारियों को उबरने में समय लग जाएगा। वे कहते हैं, हालात यह है कि पिछले एक साल में गिरवी की कोई नई दुकानें खुलना लगभग बन्द हो गया है।
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