साल की शुरुआत महीने जनवरी से मार्च तक कई मेगामाल और प्रोविजन स्टोर्स, रेस्तरांओं में प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बंद कर दी गई थी। होटलों से पार्सल लाने के लिए लोगों को अपने घर से थैला लाना पड़ता था। यहां तक कि सब्जी एवं फल व अन्य सामग्री बेचने वाले ठेलों पर भी प्लास्टिक की थैली नहीं मिलती थी, लेकिन महज कुछ महीने के अंतराल पर महानगर में प्लास्टिक उत्पादों की वापसी शुरू हो गई। इससे ऐसा प्रतीत होता है कदाचित प्रशासन इन प्लास्टिक उत्पादों को बंद करना ही नहीं चाहता।
चेन्नईवासियों का कहना है कि न केवल महानगर बल्कि पूरे राज्य में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक लगाने में फिल्म जगत और शिक्षण संस्थानों को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। कोई भी अभियान तभी सफल होता है जब उस अभियान को शिक्षा जगत, फिल्म जगत और क्रिकेट जगत के लोग अभियान से जुड़ते हैं। तमिलनाडु में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक तब तक नहीं लगेगी जब तक लोगों में यह सोच जगह नहीं कर जाती कि प्लास्टिक की थैलियां हमारे जीवन के लिए घातक हैं। एक समाजसेवी आर. दिवाकरण के अनुसार प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में फिल्मी सितारों को जुडऩा चाहिए। यदि वे प्लास्टिक रोकने के बारे में रील बनाकर प्रचार में उतारेंगे तो आमजन का उसे देखने के बाद ही उनका प्लास्टिक से मोहभंग हो पाएगा।
मिलनाडु में प्रतिबंध लगने के ८ आठ महीने गुजरने के बावजूद हर जगह प्लास्टिक थैलियों का उपयोग हो रहा है। फिर भी सरकार मौन साध हुए है। एक साहित्यकार रतन रवि का कहना था कि राज्य को प्लास्टिक मुक्त करना है तो स्कूल और कॉलेजों में भी बच्चों को यह बताना जरूरी है कि प्लास्टिक उत्पाद हमारे जीवन के लिए कितने घातक साबित हो रहे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक से कैंसर जैसी भयानक बीमारी हो रही है। खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। गाय, भैंस और अन्य पशु भी प्लास्टिक खाकर घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। यदि स्कूलों और कॉलेजों में छात्र छात्राओं को प्लास्टिक उत्पादों से हो रहे पर्यावरण के नुकसान के बारे में बताया जाएगा तो इसका लोगों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा और वे प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग बंद करने के लिए तैयार होंगे।
लेखिका कल्पना श्रीवास्तव की मानें तो प्लास्टिक उत्पाद तो मानव जीवन में रच बस गया है। खाने पीने की वस्तुओं ही क्या शृंगार प्रसाधन भी प्लास्टिक पैकिंग में बेचा जा रहा है। बाजार में बिक रहे गैस चूल्हे हो या फिर खाना बनाने के बर्तन, सभी प्लास्टिक की थैलियों में ही पैक होकर आते हैं। ऐसे में इन उत्पादों को रोकना बहुत बड़ी चुनौती है। इसे रोकने में हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। इनमें फिल्मी जगत और क्रिकेट जगत के लोगों को आगे आना चाहिए, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी इन लोगों को ही अपना रोल मॉडल मानते हैं।
बहरहाल आगामी २ अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर केन्द्र सरकार पूरे देश में प्लास्टिक रोको अभियान चलाने की घोषणा करेगी। तमिलनाडु सरकार और यहां के कॉलीवुड और खेल जगत को भी सरकार के साथ प्लास्टिक उत्पादों को रोकने में सहयोग करना चाहिए।