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क्षमा भाव से मिलता है आनंद

locationचेन्नईPublished: Sep 22, 2018 10:46:25 pm

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने आचार्य शिवमुनि के ७७वां जन्म दिवस पर कहा आत्मा का ध्यान करने वाले शिवगुणवान…

Pleasure receives happiness

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चेन्नई।साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने आचार्य शिवमुनि के ७७वां जन्म दिवस पर कहा आत्मा का ध्यान करने वाले शिवगुणवान होते हैं। आचार्य शिवमुनि का जीवन बहुत ही सरल था वे सरलता के मूर्ति हैं। उन्होंने कभी भी मान अभिमान की बात नहीं की। जिस प्रकार परिवार में किसी का जन्मदिन होता है तो उसे मनाने के लिए लोग कई तरह के उपक्रम कर खुशी मनाते हैं उसी प्रकार आचार्य की जयंती पर मनुष्य को चरणों में भक्ति की भेंट चढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

सच्चे अर्थो में महापुरुषों की जयंती, दीक्षा और अन्य सभी तिथियां धर्म, त्याग, सामायिक और स्वाध्याय के साथ मनाई जानी चाहिए। जिनभक्ति के लिए खुद के जीवन को समर्पित करना बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। परमात्मा की भक्ति और प्रार्थना मनुष्य को जीवन में हमेशा आगे ले जाती है। ऐसा करने से मनुष्य के गुणों में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा उत्तम जिन भक्ति रूपी तप को जीवन में अपनाने के लिए हमेशा आगे रहना चाहिए। समय प्रतिकूल हो या न हो लेकिन अपने मन में निष्ठा के साथ चलने वाले काम को पूरा किए बिना नहीं रुकना चाहिए। गुरुदेवों की बातों को स्वीकार करना प्रवचन की रस वाली बात बन जाती है। परिवार में अगर तप त्याग होता है तो खुशी होती है।

उपप्रर्वतक विनयमुनि ने आचार्य की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। फूलमुनि ने गीतिका प्रस्तुत की। सागरमुनि ने कहा समझ आने के बाद ही जगत में उजाला होता है। संसार का हर व्यक्ति आगे निकलने के लिए कोशिश तो करता है लेकिन सही मायने में कोशिश कहां करनी चाहिए यह वह नहीं जानता।

इसे समझने के लिए समझ आना बहुत ही जरूरी है। परमात्मा कहते हैं क्षमा करने से आनंद मिलता है। जिनके जीवन में क्षमा भाव होता है उनके जीवन में आनंद रहता है। जब मनुष्य क्षमा भाव से अच्छे कार्य करेगा तभी ऊपर उठेगा। इस मौके पर तीन-तीन सामायिक, तप और आराधना की गई। धर्मसभा में संघ अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी, पदम सिंघवी, कमल कोठारी, पदम कोठारी, सुभाष कांकलिया, सूरज बाफना, गौतम श्रीमाल, ज्ञान लोढ़ा, जम्बो दुगड़ और गौतम कोटडिय़ा सहित बेंगलूरु समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। सहमंत्री पंकज कोठारी ने संचालन किया। कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि बुधवार से नवपद जाप शुरू होगा।

मोक्ष लक्ष्मी की प्रिय सखी है दया

साहुकारपेट स्थित राजेन्द्र भवन में विराजित मुनि संयमरत्न विजय ने कहा ज्ञानियों के कथनानुसार इंद्र का जैसे ऐरावत हाथी, विष्णु का गरुड़, धनद का पुष्पक विमान, महादेव का वृषभ (नंदी), कार्तिकेय का मयूर तथा गणपति का वाहन मूषक है, वैसे ही मोक्ष मार्ग की ओर जाने के लिए दया रूपी वाहन ही सर्वश्रेष्ठ है। दया रूपी कामधेनु जो हमेशा विविध प्रकार के स्वर्ण, मोती, प्रवाल, मणि तथा धन रूपी गोमय (गोबर) को देती है। श्वेत यश रूपी दूध देती है ऐसी दया रूपी कामधेनु नष्ट न हो, इस तरह हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए।

जो बुद्धिहीन मानव प्राणियों का वध करके धर्म की इच्छा रखता है, वह मानो पश्चिम दिशा से सूर्योदय, नमक में से मिठास, सर्प के मुख में से अमृत, अमावस से चंद्र, रात्रि से दिन, लक्ष्मी के संग्रह से दीक्षा की इच्छा रखता है। भव रूपी सागर को पार करने के लिए जहाज रूप, उत्तम बुद्धि रूपी वृक्षों के स्कंद रूप तथा स्वर्ग और मोक्षलक्ष्मी की प्रिय सखी रूप ऐसी दया रूपी प्रिय स्त्री की प्राप्ति तो पुण्यशाली प्राणी को ही होती है।

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